लड़कियों के शादी की उम्र तय करने वाली कमेटी में सिर्फ एक महिला

लड़कियों के शादी की उम्र तय करने वाली कमेटी में सिर्फ एक महिला

मोदी सरकार ने लड़कियों की शादी की वैध उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। विपक्षी दलों के विरोध के बाद फिलहाल विधेयक को परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया है। लेकिन कमाल की बात ये है कि महिलाओं के लिए लाए गए विधेयक की समिति में पुरुष सांसदों का ही वर्चस्व है। कुल 31 सदस्यीय समिति में केवल एक महिला सांसद को रखा गया है।

यह खबर सामने आने के बाद, लैंगिक समानता की बात करने वाली मोदी सरकार की अलोचना हो रही है। देखा जाए तो लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की लंबी चौड़ी बातों की सचाई यह है कि पुरुषों को प्रधानता की सोच बदल नहीं पा रही है। यही कारण है कि महिलाओं से संबंधित मसलों पर भी विचार और फैसला अधिकतर पुरुषों द्वारा ही किया जाता है।

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, जिसका समाज विशेषकर महिलाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में पेश कर दिया गया है। इसके बाद इसे विचार के लिए शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया है।

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने तैयार किया है। इसमें लड़कियों की शादी की वैधानिक उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। फिलहाल, विधेयक को विचार के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थाई समिति को भेजा गया है।

राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध समिति के सदस्यों की सूची के मुताबिक, 31 सदस्यीय समिति में एकमात्र महिला सांसद तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव को रखा गया है। इस संबंध में सुष्मिता देव ने कहा कि यदि समिति और महिला सांसद होतीं तो बेहतर होता।

लड़कियों के शादी की उम्र तय करने वाली कमेटी में सिर्फ एक महिला

उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि इसमें और महिला सांसद हों, फिर भी हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी हितसमूहों को सुना जाए। वहीं, राकांपा की सांसद सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समिति में ज्यादा महिला सांसद होने चाहिए, क्योंकि वह महिलाओं संबंधी मुद्दों पर विचार करेगी।

सुप्रिया सुले ने आगे कहा कि समिति के अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह समिति के समक्ष लोगों को बुला सकते हैं। व्यापक व समावेशी विचार विमर्श के लिए वह अन्य महिला सांसदों को आमंत्रित कर सकते हैं।

विभागों से संबंधित स्थाई समितियां स्थाई होती हैं, जबकि संयुक्त व प्रवर समितियां विधेयकों और प्रासंगिक मुद्दों पर विचार के लिए समय-समय पर गठित की जाती हैं। इन समितियों का गठन लोकसभा व राज्यसभा द्वारा किया जाता है।

शिक्षा, महिला, बच्चों, युवा व खेल मामलों की स्थायी समिति का संचालन राज्यसभा द्वारा किया जाता है। लोकसभा द्वारा गठित समितियों में उसी सदन के ज्यादा सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा द्वारा गठित समितियों में उसके सदस्य ज्यादा होते हैं।

प्रस्तावित कानून देश के सभी समुदायों पर लागू होगा और एक बार लागू होने के बाद यह मौजूदा विवाह और ‘पर्सनल लॉ’ का स्थान लेगा। जून 2020 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित जया जेटली समिति की सिफारिशों पर केंद्र द्वारा महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र बढ़ाई जा रही है।

विधेयक को पेश किए जाने का कुछ सदस्यों ने विरोध किया और मांग की कि इसे अधिक जांच पड़ताल के लिए संसद की समिति को भेजा जाए। विधेयक में महिलाओं के विवाह के लिए कानूनी उम्र को बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है, जैसा कि पुरुषों के लिए प्रावधान है।


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