इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की आज रविवार को जेद्दा में बुलाई गए आपात बैठक निंदा प्रस्ताव के साथ संपन्न हो गई। जैसाकि इम्कान था यह किसी खास ठोस फैसले के बगैर खत्म हुई। बैठक में आज अभी इस्लामिक देशों ने फिलिस्तीनियों पर हो अत्याचार के लिए इस्राइल की आलोचना की।
Ministerial Resolution: “OIC renews rejection and condemnation of ongoing Israeli settlement colonization of, and establishment of apartheid system, in the Occupied Palestinian Territories. #Palestine
— OIC (@OIC_OCI) May 16, 2021
ओआईसी की ओर बैठक के बाद एक बयान जारी किया जिसमें चेतावनी देते हुए कहा गया कि धार्मिक संवेदनाओं को भड़काने की जानबूझकर कोशिश की जा रही है। बयान में कहा गया कि इस्राइल के लिए फिलिस्तीनी लोगों और इस्लामिक दुनिया की भावनाओं को भड़काने के भयानक परिणाम होंगे।
ओआईसी ने अपने बयान में कहा कि वह इस्राइल द्वारा फिलिस्तीनी इलाकों के अक्रमण और वहां भेदभाव वाली व्यवस्था लागू करने का विरोध करता है। ओआईसी ने कहा, “अल-कुद्स (यरूशलम) और अल-अक्सा मुसलमानों के दो पहले किब्ला और तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद है। इस्लामी दुनिया के लिए यह एक लाल रेखा है और वहां कोई स्थिरता या सुरक्षा नहीं है सिवाय इसके कि उसे कब्जे से मुक्त कराया जाए।”
#OIC Ministerial Executive Committee strongly condemns barbaric Israeli attacks on Palestinians. #Palestine pic.twitter.com/8bcyHlP1F9
— OIC (@OIC_OCI) May 16, 2021
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इतना ही नहीं ओआईसी की ओर की फिलिस्तीनियों के धार्मिक स्थलों पर इस्राइली हमलों और गाजा पर बमबारी की निंदा की गई। ओआईसी ने अपने बयान में कहा कि फिलिस्तीनियों और उनके घरों-इबादतगाहों पर हमला अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधे तौर पर खतरा है।
ओआईसी के तरफ से कहा गया, “इन हालातों से पूरे इलाके और बाहर के लिए अस्थिरता पैदा हो सकती है और इसका असर पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर पड़ सकता है। इस लड़ाई में आम लोगों और उनकी संपत्ति का नुकसान हो रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों और फिलिस्तीन के सवाल पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन है।”
LIVE: Turkey’s Foreign Minister Mevlut Cavusoglu speaks at the #OIC member meeting on Israel’s brutal attacks on #palestinecoverage https://t.co/walUQn4qir
— PresserWatch (@PresserWatch) May 16, 2021
दूसरी तरफ फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने ओआईसी की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे अरब देशों को आड़े हाथों लिया जिन्होंने हाल भी इस्राइल के साथ दोस्ती की है और इस्राइल के साथ ‘अब्राहम एकॉर्ड्स’ संधि पर हस्ताक्षर किए हैं।
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उन्होंने कहा, “बिना शांति स्थापित किए और अरब और फिलिस्तीनी जमीन पर इस्राइली कब्जे को समाप्त किए बिना सामान्यीकरण और औपनिवेशिक इस्राइली व्यवस्था की ओर भागना भेदभाव-भरे शासन और उसके अपराधों में भागीदारी का समर्थन करना है।”
फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने कहा, “इस औपनिवेशिक कब्जे का सामना किया जाना चाहिए और इसे खत्म करना चाहिए। हाल में रिश्ते सामान्य करने की रफ्तार अरब जगत की भावनाओं पर असर नहीं डालेगी या उनका आंकलन नहीं बदलेगा।”
हालांकि, बैठक में यूएई के विदेश मंत्री रीम अल-हाशिमी भी मौजूद थे पर उन्होंने भी हिंसा को रोकने की मांग की। लेकिन इस्राइल के साथ रिश्ते सामान्य किए जाने की आलोचना पर कुछ नहीं कहा। जबकि ओआईसी की आपात बैठक की मेजबानी कर रहे सऊदी अरब ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि इस मामले पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
Turkey proposes forming a transnational protection force “with military contributions of willing countries” in crucial #OIC meet, and Pakistan says it remains ready to join hands with OIC states to prevent Israeli bloodshed in Palestinehttps://t.co/yX1vD2C1to pic.twitter.com/T98fUgFW3z
— TRT World (@trtworld) May 16, 2021
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ओआईसी की बैठक में देश का नेतृत्व करते सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने कहा, “यरूशलम का संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है।” उन्होंने आगे कहा, “पूर्वी यरूशलम में फिलिस्तीनी लोगों को जबरन घरों से निकालने और वहां पर संप्रभूता लगाने करने की भड़काने वाली इस्राइली योजना को सऊदी अरब पूरी तरह खारिज करता है और उसकी निंदा करता है।
उन्होंने कहा कि इस्राइली सैन्य कार्रवाई की भी निंदा की जाती है जिसके कारण मासूम महिलाओं, बच्चों और नागरिकों की जानें जा रही हैं। इसके कारण अरब शांति पहल को नजरअंदाज किया गया है। वहीं, ओआईसी महासचिव ने कहा कि वो फिलिस्तीनी लोगों के अल-अक्सा मस्जिद में संघर्षों को सलाम करते हैं और अल-कुद्स (यरूशलम) फिलिस्तीन का अभिन्न अंग है।
बता दें कि फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को एक बयान जारी कर हताहतों के बारे में जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि इस्राइली हवाई हमलों में 33 लोगों की मौत हुई है। जिसमें 12 महिलाएं और 8 बच्चे शामिल हैं। जबकि 50 लोग घायल हुए हैं। इसकी के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 181 हो गई है। जबकि ढेड हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं।
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