अब गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चूड़ी वाले का कनेक्शन पाकिस्तान से जोड़ा

अब गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चूड़ी वाले का कनेक्शन पाकिस्तान से जोड़ा

मध्य प्रदेश के इंदौर में चूड़ी वाले के साथ कुछ दिनों पहले मारपीट की गई थी। इसके बाद फरियादी तस्लीम अली को ही छेड़छाड़ के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। अब चूड़ीवाले के नाम पर होने वाले राजनीति ने अलग रूख ले लिया है। धीरे-धीरे यह मामला भाजपा और एआईएमआईएम के भसड़ का केंद्र बनता दिख रहा है।

दरअसल, राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने ताजा आरोप में कहा कि चूड़ी बेचने वाले की गिरफ्तारी के बाद थाने का घेराव करने और भड़काऊ भाषण देने वाले एक शख्स का कनेक्शन पाकिस्तान से है। उन्होंने ये भी दावा किया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत भी मिले हैं।

कथित तौर पर उन्होंने ये भी दावा किया है कि थाने का घेराव करने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में गिरफ्तार 4 लोगों में से एक के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। उल्लेखनीय है कि नरोत्तम मिश्रा अक्सर भड़काऊ बयानबाजी के लिए सुर्खियों में रहते हैं।

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नरोत्तम मिश्रा ने अपने ताजा बयान में ये भी दावा किया है कि अल्तमस खान नाम का यह व्यक्ति ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से भी जुड़ा है। ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं।

गृह मंत्री के मुताबिक, अल्तमश खान समेत अतिवादी विचारधारा से प्रेरित 4 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इन पर इंदौर शहर में कुछ घटनाओं पर लोगों में असंतोष की भावना जगाने एवं शहर के अलग-अलग स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे कराने की साजिश रचने का आरोप है।

नरोत्तम मिश्रा यहीं नहीं रुके। उन्होंमे मीडिया से बात करते हुए कहा, “इंदौर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में शामिल और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से जुड़े आरोपी अल्तमस खान के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के भी सबूत मिले हैं।”

अब गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चूड़ी वाले का कनेक्शन पाकिस्तान से जोड़ा

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उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि पुलिस को अल्तमस के पास से कई तरह की आपत्तिजनक सामग्री मिली हैं, जिससे प्रदेश की शांति व्यवस्था को खतरा था। उन्होंने कहा कि अल्तमस ने इंदौर में हाल ही में हुई चूड़ी वाली घटना के बाद इंदौर में थाने का घेराव किया था। उसके पास से तमाम आपत्तिजनक इस तरह के वीडियो एवं ऑडियो मिले हैं जो प्रदेश की शांति भंग करने को काफी थे।

उन्होंने मीडिया को बताया कि अल्तमस सहित जो चार लोग इंदौर में गिरफ्तार किए गए हैं और उनसे अभी पूछताछ जारी है। मालूम हो कि पुलिस ने इंदौर में सांप्रदायिक दंगों की साजिश नाकाम करने का दावा करते हुए कथित तौर पर अतिवादी विचारधारा से प्रेरित चार लोगों को शनिवार को गिरफ्तार किया।

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खबरों के मुताबिक, सभी चारों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए (सांप्रदायिक सौहार्द्र पर विपरीत असर डालने वाला कार्य) और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि शहर में हाल की कुछ घटनाओं पर लोगों में असंतोष की भावना जगाने एवं शहर के अलग-अलग स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे कराने की साजिश रचने के लिए भड़काऊ संदेश सोशल मीडिया पर फैला रहे थे।

उल्लेखनीय है कि 25 वर्षीय तस्लीम अली इंदौर के गोविंद नगर मोहल्ले में 22 अगस्त को चूड़ियां बेचने गए थे। इसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें रोक उनके साथ मारपीट की थी। लेकिन जब फरियादी ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया तो उसके बाद तस्लीम को यह कहते हुए गिरफ्तार कर लिया गया कि उन्होंने एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ किया था। उनके खिलाफ पॉस्को एक्ट के तहत मामले तर्ज किए गए हैं। दूसरी तरफ घरवालों का कहना है कि आरोपियों को बचाने और धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए तस्लीम को फंसाया जा रहा है।

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इसके बाद यह पूरा मामला राजनीतिक रूप ले लिया। AIMIM नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि इंदौर के तस्लीम का इतिहास से क्या रिश्ता है? 4 फरवरी 2021 को मोदी ने चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत की थी। असहयोग आंदोलन में प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ भिड़ गए थे। जवाबी कार्रवाई में आंदोलनकारियों ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी, जिससे उनके सभी कब्जेधारी मारे गए।

उन्होंने आगे कहा कि हिंसा के चलते गांधीजी ने आंदोलन को रोक दिया था। समारोह में चौरी चौरा के शहीदों के 99 वंशज को सम्मानित किया गया। मोदी ने उस अवसर पर कहा था कि चौरी चौरा पर रीसर्च की सख़्त ज़रूरत है। इसी ज़रूरत को हम आज पूरा करने की कोशिश करेंगे। इस घटना के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक चेहरा था शहीद अब्दुल्लाह का। अब्दुल्लाह चूड़िहार बिरादरी के थे और टोकरी में कांच की चूड़ियां लेकर गांव-गांव बेचा करते थे।

इंदौर के तस्लीम भी इसी बिरादरी के हैं और यही काम करते समय एक उग्रवादी भीड़ ने उन्हें पीट दिया और उनके पैसे भी लूट लिए। अब्दुल्लाह समेत 19 लोगों ने देश के लिए अपनी जान की अज़ीम क़ुर्बानी दी। अंग्रेजों ने अब्दुल्लाह और उनके साथियों को फाँसी की सज़ा दे कर शहीद कर दिया। अगर आज अब्दुल्लाह ज़िंदा होते तो वो क्या सोंचते? एक तरफ़ मुल्क के वज़ीर-ए-आज़म शहीदों के वंशज को सम्मानित कर रहे थे…।


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