नरेंद्र गिरि को 20 साल से जानता हूं वे लिखते नहीं थे, फिर सुसाइड नोट कैसे: कैलाशानंद महाराज

नरेंद्र गिरि को 20 साल से जानता हूं वे लिखते नहीं थे, फिर सुसाइड नोट कैसे: कैलाशानंद महाराज

निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी के बाद आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने महंत नरेंद्र गिरि की सुसाइड नोट को फर्जी करार दिया है। कैलाशानंद महाराज ने बुधवार को दावा किया कि पुलिस को महंत नरेंद्र गिरि का जो सुसाइड नोट मिला है, उसमें महंत की लिखावट नहीं है।

दरअसल, दिवंगत महंत नरेंद्र गिरी के सबसे करीबी संतों में से एक कैलाशानंद महाराज भी माने जाते हैं। कैलाशानंद ने एक बयान में कहा, “मैं इस सुसाइड नोट को सुसाइड नोट नहीं मानता क्योंकि इसमें नरेंद्र गिरि जी की लिखावट नहीं है। मैं उन्हें 20 साल से जानता हूं, नरेंद्र गिरि जी लिखते नहीं थे।”

आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज ने दावा किया, “निःसंदेह नरेंद्र गिरि जी महाराज कभी पत्र नहीं लिखते थे। यदि उनका लिखा हुआ किसी के पास कुछ है तो वह दिखाए। मुझसे अधिक उन्हें कोई नहीं जानता।”

नरेंद्र गिरि को 20 साल से जानता हूं वे लिखते नहीं थे, फिर सुसाइड नोट कैसे: कैलाशानंद महाराज

ये भी पढ़ें: नरेंद्र गिरी केस में 6 से अधिक राजनीतिक और गैर-राजनीतिक लोग हिरासत में लिए गए

उन्होंने आगे कहा, “मैं 2003 से उनसे, इस मठ से जुड़ा हुआ था। हर परिस्थिति में मैंने उनका साथ दिया। वह हस्ताक्षर भी बहुत मुश्किल से करते थे। उनके हस्ताक्षर में नाम के सारे शब्द अलग होते थे। वहीं जो सुसाइड नोट सामने आया है, उसमें बड़े टेक्निकल शब्द लिखे हुए हैं। कई ऐसे शब्द हैं जैसे- आद्या तिवारी। ऐसा लग रहा है किसी विद्वान व्यक्ति ने यह लिखा है।”

इससे पहले प्रयागराज में हुई पंच परमेश्वर की बैठक में बुधवार को महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि सुसाइड नोट फर्जी है। महंत नरेंद्र गिरी की मौत बाद उनके उत्तराधिकारी घोषित करने की बात को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने सुसाइड लैटर को फर्जी बताते हुए उत्तराधिकारी की घोषणा करने से मना कर दिया।

अब संत बलवीर के उत्तराधिकारी बनने पर फैसला टल गया है। अब बैठक की अगली तारीख 25 सितंबर घोषित की गई है। उसी दिन महंत नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी पर फैसला होगा और उसकी घोषणा की जाएगी।

नरेंद्र गिरि को 20 साल से जानता हूं वे लिखते नहीं थे, फिर सुसाइड नोट कैसे: कैलाशानंद महाराज

ये भी पढ़ें: नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी पर विवाद शुरू, रविंद्र पुरी ने सुसाइड नोट को बताया फर्जी

उल्लेखनीय है कि हर अखाड़े में एक से अधिक महामंडलेश्वर होते हैं, जिनमें आचार्य महामंडलेश्वर का पद सर्वोच्च होता है। अखाड़ा के पदाधिकारी आचार्य महामंडलेश्वर से विधिक सलाह लेते हैं। महंत नरेंद्र गिरि, निरंजनी अखाड़ा के सचिव थे और इस कारण निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद महाराज का दावा, महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु को लेकर महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि देशभर में अपने बयान से सुर्खियों में रहने वाले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की बीते दिनों संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। उनका शव अल्लापुर में बांघबरी गद्दी मठ के एक कमरे में फंदे से लटका मिला था।

आज उनके पार्थिव शरीर को मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ श्री मठ बाघंबरी गद्दी में उनके गुरु के बगल में भू-समाधि दे दी गई। उन्हें योग की मुद्रा में बैठाया गया। इसके बाद मिट्टी, चंदन, इत्र डाला गया। यही नहीं गुलाब की पत्तियों से पूरे समाधि स्थल को भरा गया।

महंत नरेंद्र गिरी पद्मासन मुद्रा में ब्रह्मलीन हुए। यह समाधि अब एक साल तक कच्ची ही रहेगी। इस पर शिवलिंग की स्थापना कर रोज पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद समाधि को पक्का बनाया जाएगा।


[प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।]

Leave a Reply

Your email address will not be published.