नारदा स्टिंग करने वाले पत्रकार का दावा, BJP नेता मुकुल रॉय 15 लाख और शुभेंदु अधिकारी ने ली थी 5 लाख घूस

नारदा स्टिंग करने वाले पत्रकार का दावा, BJP नेता मुकुल रॉय 15 लाख और शुभेंदु अधिकारी ने ली थी 5 लाख घूस

पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग टेप केस में आज सोमवार सुबह सीबीआई ने चार टीएमसी नेताओं की गिरफ्तार किया। जिन कैबिनेट मंत्रियों को हिरासत में लिया गया उसमें फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और विधायक मदन मित्रा और पूर्व बीजेपी नेता सोवन चटर्जी के नाम शालिम हैं। सीबीआई ने चारों नेताओं के घर पर छापेमारी की और सीबीआई दफ्तर ले गई। इसके बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर जा पहुंची जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ।

लेकिन 2016 में, नारदा स्टिंग ऑपरेशन करने वाले पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने दावा किया है कि भाजपा नेता मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी ने भी लाखों रुपये घूस लिए थे लेकिन सीबीआई ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। आउटलुक पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में मैथ्यू ने कहा कि जब उन्हें स्टिंग आपरेशन दिखाने के लिए उनकी पत्रिका तहलका और दूसरे मीडिया संस्थानों से मदद नहीं मिली तो उन्होंने खुद का नारद पोर्टल बनाकर स्टिंग आपरेशन को जारी किया था।

स्टिंग ऑपरेशन में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्रियों और राजनेताओं और उच्च पदस्थ नौकरशाहों को कथित तौर पर चेन्नई की एक फर्जी निजी कंपनी को काम देने के बदले में घूस लेते हुए दिखाया गया था। लेकिन ऑपरेशन के तकरीबन पांच साल बाद सीबीआई ने अब जाकर तृणमूल के इन चार नेताओं को गिरफ्तार किया है। हालांकि, मैथ्यू के मुताबिक, स्टिंग आपरेशन में मुकुल रॉय और शुभेंधु अधिकारी (दोनों तब तृणमूल कांग्रेस पार्टी में थे) के खिलाफ लगे आरोप लगे थे। पर सीबीआई ने दोनों को लेकर चुप्पी साध ली है। सैमुअल का दावा कि इन दोनों ने भी सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से घूस ली थी। जिसके प्रमाण हैं।

नारदा स्टिंग करने वाले पत्रकार का दावा, BJP नेता मुकुल रॉय 15 लाख और शुभेंदु अधिकारी ने ली थी 5 लाख घूस

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मैथ्यू सैमुअल के जब पूछा गया कि नारद स्टिंग ऑपरेशन क्या था? तो उन्होंने बताया, “जब 2014 में मैंने तहलका पत्रिका के प्रबंध संपादक के रूप में वापसी की तो उस समय पत्रिका में के.डी. सिंह (व्यवसायी-राजनेता और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद) एक बड़े निवेशक थे। तरुण तेजपाल (तहलका के संस्थापक संपादक, जिन्हें नवंबर 2013 में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किया गया था और पत्रिका से इस्तीफा दे दिया था) के खिलाफ मामले के कारण पत्रिका मुश्किल दौर से गुजर रही थी।”

उन्होंने कहा, “सिंह चाहते थे कि मैं कुछ बड़ी कहानियां करूं जो तहलका के पत्रकारिता के ब्रांड में पाठकों और विश्वास को बहाल कर सकें। मेरे पास कुछ आइडिया थे, लेकिन मैं भाजपा शासित राज्यों में एक और स्टिंग ऑपरेशन नहीं करना चाहता था। क्योंकि तहलका को इसके पहले के स्टिंग ऑपरेशन के कारण भाजपा विरोधी प्रकाशन के रूप में लेबल कर दिया गया था, जिनमें से कई आपरेशन के लिए मैं जिम्मेदार था।”

उन्होंने आगे कहा, “नतीजतन, मैंने सोचा कि मैं बंगाल में कुछ करूंगा। सिंह ने शुरू में समर्थन किया था। मेरे पास 81 लाख रुपये का बजट था। ऐसे में मैंने खुद को एक व्यवसायी के रूप में पेश किया और बंगाल में राजनेताओं और नौकरशाहों से मुलाकात की। मैंने उन्हें एक कंपनी का पक्ष लेने के लिए नकद देने की पेशकश की थी। लेकिन जब सिंह ने देखा कि उनकी पार्टी के लोग रिश्वत लेने में शामिल थे तो उन्होंने स्टिंग को प्रकाशित करने से इनकार कर दिया। दो साल से अधिक समय तक, मैंने स्टिंग को कहीं भी प्रकाशित करने के लिए संघर्ष किया और अंत में एक पोर्टल नारद न्यूज की स्थापना की, जिस पर इसे प्रसारित किया गया।”

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मैथ्यू से जब आज की गिरफ्तारी को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “आज की गिरफ्तारी इसका सिरा मात्र है। यह स्टिंग सरकारों में भ्रष्टाचार की हद को साबित करता है। यह दिखाता है कि सत्ता में बैठे लोगों को रिश्वत देना कितना आसान है। मैंने खुद को एक व्यवसायी के रूप में पेश किया, लेकिन मैं वरिष्ठ मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों से सिर्फ इसलिए मिल पाया क्योंकि इन लोगों को लगा कि वे इस सौदे से पैसा कमा सकते हैं।”

उन्होंने बताया, “मैं सुवेंदु अधिकारी से उनके कार्यालय में मिला और उन्हें 5 लाख दिए। यह टेप भी सीबीआई को सौंप दिया गया था और उसे फोरेंसिक जांच में सत्यापित किया गया था। मैं मुकुल रॉय से मिला, उन्होंने सीधे नकद स्वीकार नहीं किया, लेकिन मुझे मिर्जा (2019 में नारद मामले में गिरफ्तार निलंबित आईपीएस अधिकारी) को पैसे देने के लिए कहा। मैंने मिर्जा को 15 लाख रुपये दिए और रिकॉर्ड की गई बातचीत से साबित होता है कि मिर्जा ने मुकुल रॉय के लिए पैसे लिए थे।”

इसके बाद उन्होंने कहा, “यह कहना सही हो सकता है कि रॉय को सीधे उससे पैसे नहीं मिले और इसलिए यह दिखाने के लिए कोई टेप नहीं है कि रॉय ने पैसे लिए। पूछताछ के दौरान मिर्जा ने सीबीआई के सामने कबूल किया कि उसने रॉय के लिए पैसे लिए थे। चार्जशीट में रॉय और अधिकारी के नाम क्यों नहीं आते या राज्यपाल द्वारा अभियोजन के लिए दी गई मंजूरी की सूची मेरे लिए एक रहस्य है। सच कहूँ तो, यह चौंकाने वाला है क्योंकि आप एक ही सबूत के आधार पर यह तय नहीं कर सकते कि आप किसे गिरफ्तार करते हैं और किसे नहीं।” उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने टीएमसी नेता फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा को पांच-पांच लाख रुपये दिए थे।


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