तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर आज 21 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंच गए। माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार का गठन हो सकता है। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि मुल्ला बरादार एक समावेशी सरकार के गठन के लिए जिहादी नेताओं और राजनेताओं से मिलने काबुल पहुंचे हैं।
17 अगस्त को बरादर दोहा की राजधानी कतर से अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पहुंचे थे। कंधार तालिबान का गढ़ रहा है। कंधार पहुंचकर बरादर ने कहा था कि तालिबान का शासन अबकी अलग तरह का रहेगा।
तालिबान ने कहा है कि वह चाहते है कि अबकी उनकी सरकार समावेशी रहे पर इस सरकार में कौन-कौन शामिल होगा इसको लेकर अभी साफ नहीं हो पाया है। इसी बीच आज खबर आई कि काबुल एयरपोर्ट के पास से 150 भारतीय लोगों को तालिबान ने अपहरण कर लिया है। हालांकि, आगे चलकर ये खबर झूठ निकली।
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वहीं, दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लीदिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान में नई सरकार गठन को लेकर खुल कर अपना पक्ष रखा है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से रूस की राजधानी मास्को में मुलाकात के दौरान शुक्रवार को उन्होंने कहा कि दूसरे देशों को अफगानिस्तान पर अपनी इच्छा नहीं थोपनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तालिबान अपने वादों को निभाएगा। उन्होंने ये कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि चरमपंथियों को अफगानिस्तान से बाहर निकलने और क्षेत्र के अन्य देशों में फैलने से रोका जाए।
पुतिन ने कहा, “बाहर बैठकर विदेशी मूल्यों को थोपने और विदेशी मॉडल का लोकतंत्र विकसित करने की गैरजिम्मेदाराना नीति को रोका जाना चाहिए। हम अफगानिस्तान को जानते हैं, हम उन लोगों को अच्छी तरह जानते हैं, और हमने सीखा है कि यह देश कैसे काम करता है, और इसकी परंपराओं के विपरीत, उस पर एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था थोपना कितना हानिकारक हो सकता है।”
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रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा, “इनमें से कोई भी राजनीतिक और सामाजिक प्रयोग अतीत में सफल नहीं हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि तालिबान ने युद्ध की समाप्ति की घोषणा की है, नागरिकों और राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है और उम्मीद है कि सब कुछ किया जाएगा।
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