अब रक्षा मंत्रालय की जमीन बेचने की तैयारी में सरकार, सैन्य विभागों को भेजी गई चिट्ठी

अब रक्षा मंत्रालय की जमीन बेचने की तैयारी में सरकार, सैन्य विभागों को भेजी गई चिट्ठी

केंद्र सरकार ने अब रक्षा मंत्रालय की उन हजारों जमीनों को बेचने का निर्णय लिया है जिनका अभी फिलहाल कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। मंत्रालय ने इसके लिए पहल शुरू कर दी गई है। रक्षा मंत्रालय ने इन जमीनों के बेचने के लिए तीनों सशस्त्र बलों- डीआरडीओ, तटरक्षक बल, आयुध निर्माणी बोर्ड सहित अन्य विभागों को इससे संबंधित चिट्ठी भेजी है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि पिछले दो दशकों में उनके लिए कितनी जमीन की जरूरत हुई है। साथ ही वहां कौन-सी परियोजनाएं क्या चल रही हैं।

रक्षा मंत्रालय की ओर से संबंधित मंत्रालयों को बीते 6 मई को भेजे गए एक चिट्ठी में कहा गया है कि तीन महीने के भीतर शेष जमीन को संकलित किया जा सकता है और महानिदेशक रक्षा संपदा (डीजीडीई) के साथ अटैच किया जा सकता है। इन अपेक्षित शेष जमीन में से कुछ पुराने ब्रिटिश समय के कैंपिंग ग्राउंड हैं जिनका उपयोग लंबे अभियानों को जारी रखने के लिए किया जाता था।

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वहीं, कुछ जमीन पर द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) में स्थापित पुराने अप्रयुक्त हवाई अड्डे हैं। कुछ जमीन अब नागरिक क्षेत्रों के भीतर आते हैं। इसका कुछ ही हिस्सा सैन्य उद्देश्य के लिए होता है। जबकि कुछ जमीन आयुध कारखानों के पास हैं। खाली जमीन की रक्षा मंत्रालय दो श्रेणियों की पहचान करने पर विचार कर रहा है।

अब रक्षा मंत्रालय की जमीन बेचने की तैयारी में सरकार, सैन्य विभागों को भेजी गई चिट्ठी

पहली श्रेणि A-2 और दूसरी B-4 हैं। छावनी भूमि प्रशासन नियम, 1937 ने सभी जमीनों के उपयोग, स्थान और भविष्य के विस्तार के अनुसार बेंच-मार्क किया है। क्लास ए-2 भूमि वास्तव में सैन्य अधिकारियों द्वारा उपयोग या कब्जा नहीं किया जाता है बल्कि अस्थाई रूप से उपयोग किया जाता है। क्लास बी-4 भूमि वह है जो किसी अन्य वर्ग की भूमि में शामिल नहीं है।

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यह पत्र सुमित बोस समिति की सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई करने के रक्षा मंत्रालय की ओर लिए निर्णय के आधार पर लिखा गया है। पूर्व राजस्व सचिव ने भारत सरकार के दिसंबर 2017 में 131 सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

बोस समिति की सिफारिश, रक्षा मंत्रालय द्वारा एक अध्ययन के बाद, तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत की गई है। 6 मई को भेजे गए रक्षा मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि खाली भूमि और रक्षा भूमि के उपयोग के संबंध में बोस समिति की सिफारिशों के एक खंड को लागू करने का निर्णय लिया गया है।


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