युवा कवि गोलेन्द्र पटेल कविता के साथ-साथ नवगीत, कहानी, निबंध और नाटक जैसी विधाओं से भी जुड़े रहे हैं। लंबे...
लिटरेचर

युवा कवि गोलेन्द्र पटेल की आठ कविताएँ
युवा कवि गोलेन्द्र पटेल कविता के साथ-साथ नवगीत, कहानी, निबंध और नाटक जैसी विधाओं से भी जुड़े रहे हैं। लंबे समय से इनकी रचनाएँ ‘प्राची’, ‘बहुमत’, ‘आजकल’, ‘साखी’, ‘वागर्थ’, ‘काव्य प्रहर’, ‘जन-आकांक्षा’, ‘समकालीन त्रिवेणी’, ‘पाखी’, ‘सबलोग’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होती रही हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय की ओर से ‘प्रथम सुब्रह्मण्यम भारती युवा कविता सम्मान-2021’, ‘रविशंकर...
FEATURED STORIES

मजदूरों और कोरोना पर गुलज़ार की नज़्में- मिलेंगे तो वहां जाकर, जहां जिंदगी है
जाने-माने गीतकार, लेखक और फिल्म निर्देशक गुलज़ार सामाजिक मुद्दों पर हमेशा बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। वे अक्सर नज़्मों, गीतों और कविताओं के जरिए अपने जज्बात को बयां करते हैं। मौजूदा कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से मजदूरों के पलायन पर भी उन्होंने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने अपनी दो मार्मिक नज़्मों के जरिए मजदूरों की दुर्दशा...

संस्मरण: नंदकिशोर नवल में भाषा का पाखंड या विद्वता के प्रदर्शन की कभी मंशा नहीं दिखी
कल रात जब मेरे गुरु और हिंदी के वरिष्ठ आलोचक नंदकिशोर नवल के निधन की खबर आई तो मुझे अपने छात्र जीवन के उन दिनों की याद आई जब हम मानते थे कि नवल जी तो कभी बूढ़े भी नहीं हो सकते। उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था। उन दिनों वह किसी हीरो की तरह दिखते थे। वैसे भी वे विद्यार्थियों...

डॉ. नंदकिशोर नवल कविता की एक जीवंत पाठशाला
नवल जी के देहावसान की खबर स्वाभाविक रूप से दु:खद है, क्योंकि भौतिक रूप से उन्हें देखना अब संभव नहीं होगा। पिछले कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य लगातार ख़राब चल रहा था और खबरों के अनुसार इस लॉकडाउन में वह घर में ही फिसल कर गिर भी पड़े थे, इसलिए कुछ अनहोनी की आशंका तो बनी हुई थी। 12 मई...

सआदत हसन मंटो की कहानी ‘टोबाटेक सिंह’
बटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदोस्तान की हुकूमतों को ख़्याल आया कि अख़लाक़ी क़ैदियों की तरह पागलों का तबादला भी होना चाहिए यानी जो मुसलमान पागल, हिंदोस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें पाकिस्तान पहुंचा दिया जाये और जो हिंदू और सिख, पाकिस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें हिंदोस्तान के हवाले कर दिया जाये। मालूम नहीं ये बात माक़ूल...

युद्ध और शांति पर बर्टोल्ट ब्रेख्त की आठ कविताएं
भूखों की रोटी भूखों की रोटी हड़प ली गई हैभूल चुका है आदमी मांस की शिनाख्तव्यर्थ ही भुला दिया गया है जनता का पसीना।जय पत्रों के कुंज हो चुके हैं साफ।गोला बारूद के कारखानों की चिमनियों सेउठता है धुआं। लड़ाई का कारोबार एक घाटी पाट दी गई हैऔर बना दी गई है एक खाई। युद्ध जो आ रहा है युद्ध...

युवा कवि गोलेन्द्र पटेल की आठ कविताएँ
युवा कवि गोलेन्द्र पटेल कविता के साथ-साथ नवगीत, कहानी, निबंध और नाटक जैसी विधाओं से भी जुड़े रहे हैं। लंबे समय से इनकी रचनाएँ ‘प्राची’, ‘बहुमत’, ‘आजकल’, ‘साखी’, ‘वागर्थ’, ‘काव्य प्रहर’, ‘जन-आकांक्षा’, ‘समकालीन त्रिवेणी’, ‘पाखी’, ‘सबलोग’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होती रही हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय की ओर से ‘प्रथम सुब्रह्मण्यम भारती युवा कविता सम्मान-2021’, ‘रविशंकर...