ऑक्सीजन की तरह क्या देश में बिजली संकट आने वाला है?

ऑक्सीजन की तरह क्या देश में बिजली संकट आने वाला है?

देश के अलग-अलग पावर प्‍लांट्स में कोयले के कमी की रिपोर्ट्स आ रही हैं। उत्‍तर प्रदेश समेत कई राज्‍यों में घंटों बिजली गुल रहने लगी है। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि सब चंगा-सी। सारी आशंकाओं को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने ‘निराधार’ करार दिया है।

केंद्रीय उर्जा मंत्री ने रविवार को कहा कि संकट न तो कभी था, न आगे होगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास आज के दिन में कोयले का चार दिन से ज्यादा का औसतन स्टॉक है, हमारे पास प्रतिदिन स्टॉक आता है। कल जितनी खपत हुई, उतना कोयले का स्टॉक आया।” उन्‍होंने ये भी कहा क‍ि हमें कोयले की अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी है हम इसके लिए कार्रवाई कर रहे हैं।

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ बिजली संकट को लेकर मोर्चा खोल दिया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा रविवार को कहा कि राजधानी में बिजली की कटौती का भी फैसला लिया जा सकता है।

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उन्होंने आगे ने कहा कि यदि कोयले की सप्लाई में कमी जारी रही तो फिर हमें बिजली कटौती का प्लान बनाना पड़ सकता है। भाजपा लीडरशिप वाली केंद्र सरकार पर भी हमला बोलते सिसोदिया ने कहा कि इसी तरह उन्होंने देश में ऑक्सीजन की कमी से भी इनकार किया था।

ऑक्सीजन की तरह क्या देश में बिजली संकट आने वाला है?

उन्होंने कहा कि अप्रैल में इसी तरह से देश में ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी आई थी, लेकिन सरकार ने इससे इनकार किया था। उन्होंने कहा, “यदि अगले 24 घंटों में दिल्ली में कोयले की सप्लाई नहीं बढ़ी तो फिर हमें पावर कट पर विचार करना होगा। कई पावर प्लांट्स में कोयले की भारी कमी देखने को मिल रही है।”

सिसोदिया ने आगे जोड़ा, “केंद्रीय मंत्री ने कोयले की कमी से इनकार किया है और अरविंद केजरीवाल की आलोचना की है। इस बारे में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।”

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उन्होंने आगे कहा, ‘भाजपा सरकार देश की व्यवस्था को संभालने में फेल रही है और अपनी जिम्मेदारियों से वे भाग रहे हैं। आज जैसा कोयले का संकट है, उसी तरह से राज्य सरकारों ने ऑक्सीजन की किल्लत की ओर भी केंद्र सरकार को ध्यान दिलाया था। तब भी केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग गई थी। अब कोयले की कमी देश में बिजली का संकट पैदा कर सकती है।’

मनीष सिसोदिया ने कहा, “यह जो पावर क्राइसिस है, उससे देश अंधेरे में जा सकता है। पंजाब, यूपी, राजस्थान, दिल्ली की सरकारों ने केंद्र सरकार से मांगी है, लेकिन उसकी ओर से अब तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। समस्या का हल निकालने की बजाय केंद्र सरकार इस बात पर ज्यादा जोर दे रही है कि राज्य सरकारें गलत हैं।”

आप नेता ने इसके बाद कहा, “सरकारें सहयोग से चलती हैं। हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि वह राज्यों के साथ और अधिक सहयोग के साथ काम करे।” इससे पहले शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यदि केंद्र सरकार ने स्थिति को नहीं संभाला तो फिर दिल्ली में बिजली कट सकती है।

ऑक्सीजन की तरह क्या देश में बिजली संकट आने वाला है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के कुल 135 पावर प्लांट्स में बिजली का उत्पादन कोयले से होता है। इन प्लांट्स से ही देश की 70 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है। हालत यह है कि अभी 72 प्लांट के पास सिर्फ 3 तीन का कोयला स्टॉक है। 50 प्लांट के पास सिर्फ 10 दिनों का भंडार है।

बताया जा रहा है कि भारत के पास 300 अरब टन का कोयला भंडार है। फिर भी पावर हाउस के लिए इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों से 2.22 करोड़ टन कोयले का आयात किया जाता है। देश में पिछले दो महीनों में कोयला का उत्पादन कम हुआ। मॉनसून सीजन में अक्सर भारत में भी कोयले का उत्पादन कम होता है, क्योंकि भारत के कोयला खादानों में अब भी पुराने तरीकों से ही खनन होता है।

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दूसरी तरफ 2019 के मुकाबले में बिजली की खपत 17 प्रतिशत बढ़ गई है। इस बीच दुनियाभर में कोयले के दाम 40 फ़ीसदी तक बढ़ गए। 2021 की शुरुआत का आंकड़ा देखें, इंडोनेशिया में कोयले की कीमत 60 डॉलर प्रति टन थी जो अब बढ़कर 200 डॉलर प्रति टन हो गई है। इस कारण भारत का कोयला आयात दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। कुल मिलाकर पावरहाउस को कोयले की आपूर्ति में गड़बड़ी हुई।

लॉकडाउन खत्म होने के बाद उद्योग फिर से पटरी पर लौट रहे हैं। गर्मी के कारण घरों की बिजली की मांग बढ़ी। इससे बिजली की डिमांड और सप्लाई का बैलेंस लड़खड़ाने लगा। ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रति महीना थी, जो 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने तक पहुंच गया है। अभी फेस्टिव सीजन शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि अभी डिमांड और बढ़ेगी।


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