कन्हैया कुमार क्या कांग्रेस में जाने वाले हैं, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अटकलें तेज

कन्हैया कुमार क्या कांग्रेस में जाने वाले हैं, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अटकलें तेज

जेएनयू के पूर्व छात्र नेता और सीपीआई लिडर कन्हैया कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ मुलाकात की है। कन्हैया कुमार के इस मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति में अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

बताया जा रहा है कि कन्हैया कुमार वामदलों की राजनीति को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। कहा जा रहा है कि कन्हैया कुमार को कांग्रेस में लाने की सलाह पीके यानी प्रशांत किशोर ने पार्टी लीडरशिप को दी है। बताया जा रहा है कन्हैया कुमार ने जाकर राहुल गांधी से मुलाकात भी की है।

प्रशांत किशोर का मानना है कि पुराने नेताओं का जलवा खत्म होने और नई पीढ़ी में कोई कद्दावर नेता न होने की भरपाई कन्हैया की एंट्री से की जा सकती है। जैसा कि आपने सबने महसूस किया होगा कि कन्हैया कुमार बीते डेढ़ सालों से सीपीआई में भी सक्रिय नहीं हैं। इससे भी इन अटकलों को बल मिलता है।

कन्हैया कुमार क्या कांग्रेस में जाने वाले हैं, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अटकलें तेज

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हालांकि, कन्हैया कुमार के राहुल गांधी और पार्टी में संभावित एंट्री को लेकर बिहार कांग्रेस का कोई भी नेता कुछ खुलकर नहीं बोल रहा है। माना जा रहा है कि बिहार के कई कांग्रेस नेता उनकी संभावित एंट्री से खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।

अंदरखाने में ये भी चर्चाएं तेज हैं कि कन्हैया कुमार के संबंध उनकी पार्टी के बड़े नेताओं से अच्छे नहीं चल रहे हैं। हैदराबाद में हुई सीपीआई की एक बैठक में तो अनुशानहीता का आरोप लगाकर उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया था।

कन्हैया कुमार ने हैदराबाद वाली घटना के बाद पार्टी मुख्यालय का अपना दफ्तर भी खाली कर दिया था। कुछ लोगों का मानना है कि कम उम्र में उनकी लोकप्रियता ने बड़े नेताओं को असहज कर दिया है।

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जैसा कि मालूम है कि बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राज की कमान इन दिनों तेजस्वी यादव संभाले हुए हैं। वहीं, चिराग पासवान भी अपने पिता की विरासत यानी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की कमान अपने चाचा पशुपति पारस के हाथों में जाने से रोकने के लिए पूरी महेनत कर रहे हैं।

ऐसे में कांग्रेस को भी किसी दमदार युवा नेता की तलाश है। उल्लेखनीय है किकन्हैया कुमार को उनकी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘पूरब के लेनिनग्राद’ के नाम से मशहूर बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाया था।

कन्हैया के खिलाफ भाजपा ने अपने फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को अखाड़े में उतारा था। इस चुनाव में कन्हैया कुमार ने खुद को बेगूसराय का बेटा बताकर लोट मांगा। हालांकि, उन्हें निराशा हाथ लगी थी। वे गिरिराज सिंह से लगभग 4 लाख 20 हजार से वोट्स से हार गए थे।


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