ईयर वैक्स या कान का मैल से अधिकतर लोगों घिन आती है। लेकिन सच्चाई ये है कि ईयर वैक्स हमारे शरीर से निकलने वाला एक ऐसा प्राकृतिक पदार्थों का रिसाव है जिसका काफी महत्वपूर्ण काम है। कई लोग हमेशा साफ करते रहते हैं पर ये गलत आदत है। यह ऐसी आदत है जिसका असर आपके सुनने पर पड़ता है। वैसे भी अगर इसे साफ भी करते हैं तो आपको इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
कान को साफ रखने के सबसे अच्छे और सबसे खराब तरीकों को लेकर ब्रितानी ईएनटी सर्जन गैब्रियल वेस्टन ने अध्ययन किया है। नतीजे पर पहुंचने से पहले डॉक्टर गैब्रियल वेस्टन ये स्पष्ट तौर पर मानती है कि ईयर वैक्स एक ऐसा पदार्थ है जो कान के भीतर मौजूद ग्रंथियों में पैदा होता है और इसके कई काम होते हैं।

ईयर वैक्स का काम
- हमारे कान को ये साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- यह कान के रास्ते के ऊपर जमी परत को सूखने या उनमें दरार पड़ने से रोकता है।
- ईयर बैक्स कान को धूलकणों और पानी से बचाता है जिससे संक्रमण नहीं होता है।
- अधिकतर समय हमारी कर्ण नलिकाएं खुद ही अपनी सफाई कर लेती हैं।
- यह ध्वनि पॉल्यूशन से बताया और आवाज को संतूलित मात्रा में काम के पर्दे तक ले जाता है।
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ईयर वैक्स कब बनता है समस्या
जब कोई शख्स बोलता है, खाते वक्त चबाता है, अपने जबड़ों को घुमाता है तो ये ईयर वैक्स और त्वचा की कोशिकाएं धीरे-धीरे कान के पर्दे से कान के छेद की ओर बढ़ता है। जहां यह सामान्य तौर पर सूखकर अपने आप बाहर निकल जाता है।
यह हमेशा याद रखना चाहिए कि ईयर वैक्स या कान का मैल कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर ये ज्यादा मात्रा में बनने लगे तो ये ऐसा अवरोधक बन सकता है जिससे कान में दर्द हो सकता है या फिर कुछ मामलों में सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
हालांकि, कान दर्द का कारण बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन भी हो सकता है। बाजार में ऐसी कई चीजें बिकती हैं जो ये वादा करती हैं कि इनके इस्तेमाल से कान का मैल साफ किया जा सकता है। पर सवाल ये उठता है कि क्या इन उत्पादों से वाकई कोई मदद मिलती है?

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कॉटन बड्स
अक्सर हम अपने कान को उंगलियों से साफ करने की कोशिश करते हैं पर सफलता हाथ नहीं लगती। फिर किसी पतले लकड़ी में रुई के फाहों को लपेट कर उसे साफ करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, रुई के फाहे बनाने वाली कंपनियां अक्सर चेतावनी देती हैं कि इसका इस्तेमाल कान की नालिका को साफ करने में न करें।
याद रहे जब भी आपका दिल रुई का इस्तेमाल कान साफ करने के लिए मचले तो एक बार इसकी पैकिंग के लेबल पर लिखा संदेश जरूर पढ़ लें। हालांकि, पहली नजर में ये ऐसी चीज लगती है जिससे किसी नुकसान का गुमान नहीं होता। मुमकिन है कि कॉटन के उस पैक पर आपको ये लिखा मिले- “रुई के फाहों को कर्ण नलिकाओं में नहीं डालना चाहिए।”
लेकिन यहां एक बाद याद रहे आजकल मार्केट में लोकल रुई ही अधिकतर बिक रही हैं तो वैज्ञानिक मापदंडों को नहीं मानती हैं। इसलिए रुई के फाहों पर ये लिखा ही हो जरूरी नहीं। ऐसे में इस बात का जरूर ध्यान दें और अच्छी कंपनी का कॉटन इस्तेमाल करें। चाहे वो किसी भी काम में हो।

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सच्चाई ये है कि कॉटन बड्स का जब भी हम इस्तेमाल करते हैं तो हम ईयर वैक्स को कान के अंदर और भीतर धकेल देते हैं। ये कान के उन हिस्सों से चिपक सकता है जो खुद की सफाई में सक्षम नहीं होते हैं। ईयरवैक्स में कान के बाहर की तरफ से ऐसे बैक्टीरिया हो सकते हैं जो संक्रमण की वजह बन सकते हैं।
रुई के फाहों से कान का मैल साफ करने का एक नतीजा ये भी हो सकता है कि ऐसा करने पर कान की अंदरूनी त्वचा में एक तरह की जलन पैदा हो सकती है जिससे बार-बार उस हिस्से को छूने का मन करे। ये एक दुष्चक्र में बदल सकता है।
कुछ मामलों में अगर रुई के ये फाहे ज्यादा गहराई में पहुंच जाएं तो इससे कान का पर्दा फट सकता है, अचानक दर्द बढ़ सकता है। खून निकल सकता है और अस्थाई तौर पर सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

ईयर कैंडल्स
कई लोग ईयर वैक्स से छुटकारा पाने के लिए बाजार में मिलने वाले ईयर कैंडल जैसा प्रोडक्ट उपयोग में लाते हैं। इस तकनीक में एक लंबी, पतली और जलती हुई मोमबत्ती को एक शंकु के आकार वाली चीज में रखा जाता है। जिसमें एक तरफ छेद होता है और इसकी दिशा कान के भीतर होती है।
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यह दावा किया जाता है कि इसके इस्तेमाल से ईयर वैक्स और कान की दूसरी अशुद्धियां साफ हो जाती हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक, ईयर कैंडल्स कान का मैल साफ करने में असरदार नहीं हैं और इसके खतरें अधिक हैं। इससे कान अंदर या चेहरा जल सकता है। इससे मोमबत्ती का वैक्स कर्ण नलिकाओं तक पहुंच सकता है और कान के पर्दे को डैमेज सकता है।

ईयर ड्रॉप्स
बहुत से लोगों का मानना है कि ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल कान साफ करने के लिए करना सबसे बेहतर विकल्प है। ये ईयर ड्रॉप्स कान के मैल को इतना नम कर देते हैं कि ये खुद ही बाहर निकलने लगता है। बाजार में कई तरह के ईयर ड्रॉप्स मिलते हैं। ये जिन चीजों को मिलाकर तैयार किया जाता है, उनमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड जैसी चीजे होती हैं।
हालांकि, ईयर ड्रॉप्स प्रभावशाली हो सकते हैं पर कुछ मामलों में संवेदनशील त्वचा वाले लोगों में इसके इस्तेमाल से जलन की समस्या देखी गई है। इसके बदले जैतून और बादाम के तेल की बूंदें अन्य महंगे कमर्शल प्रोडक्ट्स की तरह ही असरदार मानी जाती हैं।
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ईयर वैक्स को ढीला करने के लिए आप अपनी पसंद का तेल जैसे जैतून या फिर बादाम का तेल प्रयोग करना चाहते हैं तो तेल को हल्का गर्म कर लें। और बगल करवट करके लेट जाएं। और अंगुलियों या फिर ड्रॉप्स के मदद से तेल की कुछ बूंदे डाले। ध्यान रखें कि तेल हल्का गर्म ही करें और कान में डालने से अपने हाथे पर रखकर पहले चेक कर लें।
डालने के बाद उसी करवट लगभग 5-10 मिनट लेटे रहें। जैतून का तेल कानों में जलन नहीं पैदा करता। लेकिन इसका असर करने में वक्त लगेगा। अगर आपके कान ज्यादा ही जाम हो गया है तो तेल की बूंदों के इस्तेमाल की प्रक्रिया कुछ दिन लगातार कीजिए।

पानी से सफाई
अगर ईयरवैक्स की समस्या हमेशा रहती है तो डॉक्टर से सुझाव लें। मेडिकल साइंस में कान साफ करने के तरीके को सिरिंजिंग भी कहते हैं। इसमें कान का मैल साफ करने के लिए एक सिरिंज के जरिए कान की नलिकाओं पर पानी की फुहारें डाली जाती हैं। इससे ईयर वैक्स साफ हो जाता है। लेकिन ये थोड़ा तकलीफदेह होता है और यहां तक कि कान के पर्दे भी क्षतिग्रस्त हो सकता है।
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माइक्रोसक्शन
ईयरवैक्स से परेशान लोगों के लिए डॉक्टर कुछ मेडिकल क्लिनिक्स माइक्रोसक्शन का रास्ता भी चुनते हैं। इस प्रक्रिया में डॉक्टर माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल कर कान के भीतर देखते हैं। और एक छोटे से औजार के जरिए उसे खींच लेते हैं। इस तरीके को काफी सुरक्षित माना जाता है। इन सब के इतर एक बात हमेशा याद रखें हल्की खुजली होने पर कान को खुजाने या वैक्स को निकालने मत बैठ जाएं। वैक्ट का निकलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और अधिकतर समय ये अपने आप नहाते-उठते-बैठते बाहर आ जाती है।
नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।
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