सूडान की सेना ने देश की अंतरिम सरकार का तख्तापलट कर दिया है। तख्तापलट के बाद सेना ने देश की कमान अपने हाथ में ले ली है। साथ ही इमरजेंसी (आपातकाल) का एलान कर दिया गया है और प्रधानमंत्री और दूसरे नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
तख्तापलट के बाद सूडान में अंतरिम सरकार चलाने वाली परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बुरहान ने देश को संबोधित किया। उन्होंने सेना और नागरिक प्रतिनिधियों के बीच सत्ता की साझेदारी समझौते को तोड़ने का एलान किया।
बुरहान ने मंत्रिमंडल भंग करने का भी एलान कर दिया है। दस फैसलों की घोषणा करते हुए जनरल बुरहान ने कहा, “जूबा में अक्टूबर 2020 में सूडान ने जिस शांति समझौते पर दस्तख्त किए थे और जो वादे किए थे, वो इन फैसलों के बाहर रहेंगे।”
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उन्होंने सेना की कार्रवाई के लिए राजनीतिक स्तर पर जारी संघर्ष को जिम्मेदार ठहराया। जनरल बुरहान नागरिक नेताओं के साथ संयुक्त मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे थे। उधर, सेना तख्तापलट के विरोध में राजधानी खार्तूम की सड़कों पर प्रदर्शनकारी उतर आए। इस दौरान गोलियां चलने की भी आवाजें सुनी गईं।
#UPDATE From the US to Germany to the Arab League, the world reacted with alarm on Monday after an apparent coup in #Sudan where armed forces detained the prime minister https://t.co/IBMM6L4eBM pic.twitter.com/QIjU4ee18p
— AFP News Agency (@AFP) October 25, 2021
जैसा कि मालूम है कि दो साल पहले लंबे समय से सूडान की सत्ता पर काबिज उमर अल-बशीर को सत्ता से हटा दिया गया था। उसके बाद एक अंतरिम सरकार अस्तित्व में आई थी। तभी से सेना और नागरिक सरकार में तकरार की स्थिति बनी हुई थी।
मौजूदा समय में सूडान भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मिल रही थी पर सैनिक तख्तापलट के बाद इस पर आशंका के बादल मडराने लगे हैं। सोशल मीडिया पर विरोध-प्रदर्शन के कुछ वीडियो सामने आए हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारी बेरिकेड्स को आग के हवाले कर रहे हैं।
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प्रदर्शनकारियों को सेना मुख्यालय के करीब पहुंचते देखा सकता है। नेताओं की गिरफ्तारी के बाद प्रदर्शनकारियों का हुजूम राजधानी की कई सड़कों कब्जा कर दिया है।
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, हैतम मोहम्मद नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा,”सूडान में लोकतंत्र बचाने के लिए हम अपनी जान देने को तैयार हैं।” इसके पहले आज सुबह खबर आई थी कि सूडान की सेना ने देश के प्रधानमंत्री और अंतरिम सरकार के कई मंत्रियों समेत कई दूसरे सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है।
Special Envoy Feltman: The US is deeply alarmed at reports of a military take-over of the transitional government. This would contravene the Constitutional Declaration and the democratic aspirations of the Sudanese people and is utterly unacceptable. (1/2)
— Bureau of African Affairs (@AsstSecStateAF) October 25, 2021
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री अब्दल्लाह हमदोक को ‘हाउस अरेस्ट’ करके रखा गया है। सूडान के सूचना मंत्रालय ने गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने और सरकार का तख्ता पलटने की कोशिशों को रोकने की अपील की थी।
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लेकिन, कुछ देर पहले खबर मिली है कि सरकारी टीवी और रेडियो के मुख्यालय को भी अब सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। सूडान के सूचना मंत्रालय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर जानकारी दी कि सेना ने एक कर्मचारी को गिरफ्तार भी किया है।
दूसरी तरफ, अल-अरबिया चैनल को सूडान के प्रधानमंत्री के एक सलाहकार ने बताया कि अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि की मौजूदगी में सत्तारूढ़ परिषद के साथ समझौते के बाद भी तख्तापलट हो गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को सूचना मंत्रालय ने बताया, “देश एक पूर्ण सैन्य तख्तापलट का सामना कर रहा है। हम लोगों से सेना के हस्तक्षेप को रोकने की अपील करते हैं।”
उधर, अमेरिका ने बयान जारी कर कहा है कि सूडान में तख्तापलट की खबरों से वह ‘बेहद चिंतित’ है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि राजधानी खार्तूम में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे संदेशों में गुस्साई भीड़ सड़कों पर टायर जलाती दिख रही है।
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रॉयटर्स के मुताबिक, एक चश्मदीद के हवाले से बताया है कि खार्तूम में सेना और अर्धसैनिक बल तैनात हैं और लोगों की आवाजाही सीमित कर दी गई है। खार्तूम एयरपोर्ट भी बंद कर दी गई है और सारी अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स स्थगित कर दी गई हैं।
लोकतंत्र समर्थक समूहों का कहना है कि सुनोयिजत तरीके से सेना ने देश में तख्तापलट को अंजाम दिया ताकि वो फिर से सत्ता में आ सके। इस महीने अतंरिम सरकार के विरोध में राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन हुए थे। उन सभी ने सेना के सत्ता अपने हाथों में लेने का समर्थन किया था।
फिर राजधानी खार्तूम में इसी गुरुवार को ही हजारों लोगों ने अंतरिम सरकार के साथ एकजुटता दिखाते हुए भी मार्च किया था। हालांकि, हाल के महीनों में अंतरिम सरकार को मिलने वाले समर्थन में कमी आई है क्योंकि सूडान की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है। सूडान को साल 1956 में आजादी हासिल की थी लेकिन उसके बाद कभी भी वहां राजनीतिक स्थिरता नहीं आई। कई बार यहां तख्तापलट की कोशिशें होती रही हैं।
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