ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा- मोदी सरकार आलोचकों और अल्पसंख्यकों का दमन कर रही

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा- मोदी सरकार आलोचकों और अल्पसंख्यकों का दमन कर रही

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत की सत्तारूढ़ मोदी सरकार अपने नीतियों के जरिए हाशिए पर पड़े समुदायों, सरकार के आलोचकों और धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों का दमन कर रही है।

बीते गुरुवार को संगठन ने कहा कि भारत सरकार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के दूसरे आलोचकों को चुप करने के लिए टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोपों का इस्तेमाल कर रही है।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि सितंबर 2021 में, सरकार के वित्त विभाग के अधिकारियों ने श्रीनगर, दिल्ली और मुंबई में पत्रकारों के घरों, समाचार संस्थानों के कार्यालयों, एक एक्टर के परिसर और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के घर और कार्यालय पर छापे मारी की हैं।

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संगठन का कहना है कि सरकारी संस्थाओं की ओर से ये छापेमारी अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के लिए दमनात्मक कार्रवाई का हिस्सा हैं। संगठन ने बताया कि सरकारी तंत्र ने कई कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों, छात्रों और अन्य लोगों के खिलाफ व्यापक रूप से आतंकवाद और राजद्रोह कानूनों के तहत मामले केस दर्ज किया है।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा- मोदी सरकार आलोचकों और अल्पसंख्यकों का दमन कर रही

ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा, “ऐसा मालूम होता है कि भारत सरकार ने आलोचकों को हैरान-परेशान करने और डराने-धमकाने के लिए ये छापेमारियां की हैं, जो तमाम तरह की आलोचनाओं को चुप करने की उनकी कोशिश के वृत्तर तौर-तरीकों को दर्शाती हैं। ये उत्पीड़नकारी कार्रवाइयां भारत के बुनियादी लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करती हैं और मौलिक स्वतंत्रताओं का हनन करती हैं।”

उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसे प्रेस संगठनों ने स्वतंत्र मीडिया को परेशान करने के लिए की गई कार्रवाइयों पर रोक लगाने की कई बार मांग की है। ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि ये कार्रवाइयां प्रेस की स्वतंत्रता पर खुला हमला हैं।

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ह्यूमन राइट्स वॉच ने 16 सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और कार्यालय पर छापेमारी की भी आलोचना की है। हर्ष मंदर के यहां जब छापेमारी की गई तब वे एक फेलोशिप के सिलसिले में जर्मनी में थे। एक संयुक्त बयान जारी कर कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और पूर्व लोक सेवकों ने छापेमारी की निंदा की और इसे अधिकारों में कटौती करने के लिए ‘राज्य संस्थानों के दुरुपयोग की एक सतत श्रृंखला’ का हिस्सा बताया।

संगठन के कहा है कि सरकारी तंत्र ने हर्ष मंदर को बार-बार निशाना बनाया है। क्योंकि वे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं। साथ ही उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों के लिए काम किया है। दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 में दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, मंदर के खिलाफ नफरत फैलाने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का मनगढ़ंत मामला दर्ज किया।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने 8 सितंबर को जम्मू और कश्मीर में पुलिस द्वारा चार कश्मीरी पत्रकारों- हिलाल मीर, शाह अब्बास, शौकत मोट्टा और अजहर कादरी के घरों पर छापा मारने और उनके फोन एवं लैपटॉप जब्त की भी आलोचना की है। मीर ने बताया कि पुलिस ने उनका और उनकी पत्नी का पासपोर्ट भी ले लिया।

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अधिकारियों ने चारों को पूछताछ के लिए श्रीनगर पुलिस स्टेशन बुलाया और उन्हें अगले दिन लौटने को कहा। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर की स्वायत्त संवैधानिक स्थिति रद्द करने के बाद, कश्मीर में कई पत्रकारों को आतंकवाद के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है।

मीनाक्षी गांगुली ने बताया कि जून में सरकारी उत्पीड़न के खिलाफ भारत सरकार को पत्र लिखा गया जिसमें उन्होंने जम्मू और कश्मीर की स्थिति का कवरेज करने वाले पत्रकारों को कथित तौर पर मनमाने तरीके से हिरासत में लेने और धमकी देने पर चिंता व्यक्त की।

पत्र में फहद शाह, आकिब जावेद, सजर गुल और काजी शिबली के मामलों का हवाला दिया गया। इसमें अक्टूबर 2020 में मुखर अखबार कश्मीर टाइम्स के बंद होने पर भी चिंता जताई गई। इसके अलावा संगठन ने अपनी रिपोर्ट में 10 सितंबर को आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा कथित कर चोरी मामले में दिल्ली में समाचार वेबसाइट्स न्यूजलॉन्ड्री और न्यूजक्लिक के कार्यालयों पर छापेमारी का भी मुद्दा उठाया है।

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ये दोनों ही वेबसाइट्स सरकार की आलोचना करने के लिए जाने जाते हैं। अधिकारियों ने छापे के दौरान, न्यूजलॉन्ड्री के प्रधान संपादक अभिनंदन सेखरी के ऑफिस में मौजूद कंप्यूटरों और निजी सेल फोन एवं लैपटॉप से डेटा डाउनलोड किया। वहीं, न्यूजक्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दूसरे संपादक से विभिन्न वित्तीय दस्तावेज के साथ-साथ ईमेल आर्काइव्स भी साथ ले गए।

इसके पहले, वित्त विभाग के अधिकारियों ने जून में दोनों मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया था। फरवरी में, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने प्रबीर पुरकायस्थ के ऑफिस और घर पर छापा मारा था। वहीं, जुलाई में इनकम टैक्स के अधिकारियों ने भारत के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले समाचार पत्रों में से एक दैनिक भास्कर के मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में स्थित लगभग 30 कार्यालयों पर छापे मारे थे।

ये कार्रवाई अखबार द्वारा कई महीनों तक कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार के तरीकों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के बाद हुई थी। 2017 में, अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितता के आरोपों पर टेलीविजन समाचार चैनल एनडीटीवी पर छापा मारा था, यह चैनल भी सरकार की नीतियों का आलोचक है।

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उत्तर प्रदेश पुलिस ने 7 सितंबर को भाजपा सरकार की मुखर आलोचक पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, सम्पत्ति के गबन और आपराधिक न्यास भंग के आरोपों के तरत आपराधिक मामला दर्ज किया। जानीमानी पत्रकार राणा अय्यूब पर ‘हिंदू आईटी सेल’ नामक एक समूह मामला दर्ज कराया है कि बाढ़ पीड़ितों और कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों के लिए धन उगाहने के अभियानों के दौरान उन्होंने आपराधिक कृत्य किए।

इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करने को लेकर मामला दर्ज किया था। वह वीडियो एक मुस्लिम बुजुर्ग व्यक्ति की दक्षिण पंथी समूहों द्वारा पिटाई करने और उन्हें ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाने से संबंधित था।

ह्यूमन राइट वॉच ने अपनी रिपोर्ट में सोनू सूद के खिलाफ हुई इनकम टैक्स की कार्रवाइयों की भी चर्चा की है। उसने कहा है कि यह छापेमारी भी राजनीति से प्रेरित लगती है, क्योंकि महामारी के दौरान अभिनेता के लोकहितैषी कार्यों, खासतौर से सरकार की लॉकडाउन नीतियों और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते पैदा हुए कमियों को दूर करने के लिए देशभर को लोगों की मदद की। जिसकी मीडिया और विपक्षी राजनीतिज्ञों ने अभिनेता की काफी प्रशंसा की।

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त और संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पिछले कुछ वर्षों में नागरिक समाज समूहों के लिए सिकुड़ते स्पेस और मानवाधिकार रक्षकों और अन्य आलोचकों के उत्पीड़न और अभियोजन में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि किसी को भी उनके बुनियादी मानवाधिकारों का प्रयोग करने के लिए हिरासत में नहीं लिया जाए और देश के नागरिक समाज समूहों को सुरक्षा प्रदान की जाए।

गांगुली ने कहा, “अपने घर में मूलभूत स्वतंत्रता का गला घोंटकर, भारत मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाले विश्व नेता के रूप में अपने प्रभाव को कम कर रहा है। सरकार को चाहिए कि अपने तौर-तरीके में बदलाव लाए और अपने लोगों के मूलभूत अधिकारों का सम्मान करे।”


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