असम में 3 मस्जिद और 1 मंदिर समेत 800 घरों को सरकार ने तोड़वाया

असम में 3 मस्जिद और 1 मंदिर समेत 800 घरों को सरकार ने तोड़वाया

असम के दारंग जिला के सिपाझार में लगभग 800 घरों को सरकारी आदेश पर तोड़ दिया गया है। तोड़े गए घरों में ज्यादातर घर मुसलमानों के हैं। इसके अलावा, तीन मस्जिद और एक मंदिर को भी तोड़ा गया है। हालांकि, राज्य मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंदिर के संबंध में कहा है कि जल्द ही तोड़े गए जगह पर आलिशान मंदिर बनवाया जाएगा।

मकानों को तोड़े जाने के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे रहने को मजबूर हो गए हैं। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि प्रशासन पोकलैन लाकर घरों को तोड़ रही है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम सरकार ने सोमवार को कहा कि दरांग जिले में ‘अवैध अतिक्रमण’ को हटाने के लिए एक अभियान चलाया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला अधिकारियों और पुलिस ने 800 घरों को और चार अवैध धार्मिक निर्माण और एक निजी संस्थान को गिराया। जब घरों और धार्मिक स्थलों को गिराया गया तब अर्धसैनिक और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के अधिकारियों को भारी संख्या में तैनाती की गई थी। खबरों के मुताबिक, प्रशासन ने कार्रवाई के दौरान 4,500 बीघा खाली कराया है।

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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दरांग के एसपी सुशांत बिस्वा सरमा ने बताया कि यह अभियान सिपझार के धौलपुर 1 और धौलपुर 3 गांवों में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे के बीच चलाया गया। उन्होंने कहा कि सभी अतिक्रमण निर्माण थे और लगभग सभी लोग बिना किसी प्रतिरोध के बाहर चले गए। दो गांव मुख्य रूप से बंगाली मूल के मुसलमानों के घर हैं।

मई में दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने से पहले, भाजपा सरकार के वादों में से एक, सरकारी भूमि को ‘अतिक्रमणकारियों’ से मुक्त करना और उन्हें राज्य के ‘स्वदेशी भूमिहीन लोगों’ को देना शामिल था। इसी तरह के अभियान ने जून में होजई के लंका में 70 परिवारों और सोनितपुर के जमुगुरीहाट में 25 परिवारों को बेदखल किया गया था।

जून महीने में भी खबर आई थी कि असम सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान अदालत के आदेश के बावजूद अपने बेदखली अभियान चलाया जिसमें कई लोग विस्थापित हुए। विस्थापित होने वालों में अधिकांश बंगाली मूल के मुसलमान थे।

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कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने सोमवार को ताजा बेदखली अभियान को लेकर कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने अपने आदेश में दिनांक 10.05.2021 को कहा था कि बेदखली या विध्वंस के किसी भी आदेश का पालन नहीं किया जाए।

कांग्रेस सांसद ने दरांग बेदखली अभियान को अमानवीय बताते हुए कहा, “मैं हमेशा उचित पुनर्वास योजना के बिना बेदखली का विरोध कर रहा हूं। हम इसकी निंदा कर रहे हैं।” असम के सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गोगोई के रायजर दल ने भी निष्कासन अभियान की आलोचना की है। पार्टी के सचिव अशरफुल इस्लाम ने कहा, “हम सिपझार में अमानवीय निष्कासन का विरोध करते हैं। हम मांग करते हैं कि बेदखल किए गए समुदायों को उचित पुनर्वास प्रदान किया जाए।”


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