दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित गाज़ीपुर बॉर्डर पर बुधवार को आंदोलनकारी किसानों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। इसमें दोनों पक्षों के कुछ लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने अब इस मामले में कार्रवाई करते हुए भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के 200 कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है।
यह एफआईआर बीजेपी नेता अमित बाल्मीकि की शिकायत पर पुलिस ने दर्ज की है। दरअसल, यह हंगामा अमित बाल्मीकि के स्वागत के दौरान ही हुआ था। गाजियाबाद के कौशांबी पुलिस स्टेशन में बाल्मीकि ने लिखित शिकायत दी। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं पर उनके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद धारा- 147, 148, 223, 352, 427 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
पुलिस को दी अपनी शिकायत में भाजपा नेता ने आरोप लगाया है कि भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने उनके स्वागत समारोह के दौरान गाड़ियों को तोड़फोड़ की और जातिसूचक शब्दों को इस्तेमाल किया।
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वहीं, इस मामले में किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 7 महीनों से चल रहे उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने के लिए भाजपा और आरएसएस ने यह पूरी साजिश रची है। दूसरी तरफ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना, जब भाजपा कार्यकर्ता उस फ्लाईओवर से अपना जुलूस निकाल रहे थे उस समय हंगामा हुआ।
बता दें दोपहर करीब 12 बजे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस हाइवे पर दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और दोनों पक्षों के बीच लाठी-डंडे चलने लगी। जिस वजह से कुछ लोग जख्मी हो गए। और बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें कथित रूप से कुछ गाड़ियां क्षतिग्रस्त हालत में दिख रही हैं। ये गाड़ियां भाजपा नेता अमित वाल्मिकी के काफिले का हिस्सा थीं और वाल्मिकी के स्वागत के लिए ही जुलूस निकाला जा रहा था।
हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने दावा किया कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने जिला प्रशासन और सरकारी अधिकारियों को सूचित किया था कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को हटाएं क्योंकि वे स्वागत रैली के नाम पर हंगामा कर रहे हैं। बाजवा ने कहा, “उन्होंने किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया और एक साजिश के तहत खुद अपने वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। सरकार की यह साजिश कामयाब नहीं होने वाली है क्योंकि पहले भी किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जा चुके हैं।”
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उन्होंने आगे कहा, “हम आज (बुधवार) की घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने जा रहे हैं, और अगर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो हम उसके हिसाब से अपनी भविष्य की रणनीति की योजना बनाएंगे।” बाजवा ने कहा, “हम भाजपा द्वारा किए गए हंगामे की निंदा करते हैं।” उन्होंने कहा कि यह हथकंडे काम नहीं करेंगे, क्योंकि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से पिछले सात महीनों से चल रहा है और भविष्य में भी जारी रहेगा।
गौरतलब है कि किसान नए कृषि कानून के विरोध में बीते साल नवंबर 2020 से धरने पर बैठे हुए हैं। इस बीच किसानों और सरकार ले बीच कई वार्ता हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसान दुबारा से सरकार से बातचीत शुरू करना चाहते हैं लेकिन सरकार इस मामले में चुप्पी साध रखी है। जबकि किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान इन विवादित कानूनों को वापस करवाए बिना वापस नहीं जाएंगे, चाहे सरकार जितना समय लगा लें।
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