फादर स्टेन स्वामी का निधन, एल्गार परिषद केस में NIA ने बनाया था आरोपी

फादर स्टेन स्वामी का निधन, एल्गार परिषद केस में NIA ने बनाया था आरोपी

फादर स्टेन स्वामी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। एल्गार परिषद मामले में स्टेन स्वामी को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया था, तब से उन्हें तालोजा जेल हॉस्पिटल में रखा गया था।

आज ही उनके की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उनके वकील ने इस बात की जानकारी दी कि आज उनका निधन हो गया है। स्टेन पार्किसंस समेत कई बीमारियों से पीड़ित थे। उन्हें पिछले साल कोविड भी हुआ था।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान होली फैमिली अस्पताल के डॉ. डिसूजा ने कहा, “बड़े भारी मन से आपको सूचित करना पड़ रहा है कि फादर स्टेन स्वामी का निधन हो गया है।” फादर स्टेन स्वामी का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई ने सुनवाई की शुरुआत में कहा, “इससे पहले कि मैं कुछ भी कहूं, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. डिसूजा कुछ कहना चाहेंगे।”

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इसके बाद कोर्ट को डिसूजा ने स्वामी स्टेन के निधन की जानकारी दी। डिसूजा ने कहा कि “शनिवार को सुबह 4.30 बजे उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया, हम उन्हें बचा नहीं सके।” जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बेंच के समक्ष सुनवाई चल रही थी।

निधन की सूचना पाने के बाद कोर्ट ने कहा, “हमें यह जानकर खेद है कि उनका निधन हो गया है। हम स्तब्ध हैं।” वहीं वकील के अनुरोध के बाद कोर्ट ने स्वामी स्टेन के शव को सेंट जेवियर्स कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल फादर फ्रेजर मस्कारेनास को सौंपने का फैसला दिया है।

पिछले महीने ही एनआईए ने हाईकोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर कर उनके जमानत याचिका का विरोध किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी बीमारी के कोई ‘ठोस सबूत’ नहीं हैं। यह भी आरोप लगाया गया था कि स्वामी माओवादी थे, जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने के लिए साजिश रची थी।

फादर स्टेन स्वामी का निधन, एल्गार परिषद केस में NIA ने बनाया था आरोपी

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उल्लेखनीय है कि एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन इन भाषणों के कारण ही कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।

दरअसल, इस कार्यक्रम का आयोजन एल्गार परिषद ने किया था। कार्यक्रम के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। भीड़ ने तमाम वाहन जला दिए थे और साथ ही दुकानों और मकानों में तोड़-फोड़ की गई थी। इस हिंसा में एक व्यक्ति की भी मौत हो गई थी और कई लोग जख्मी हो गए थे। इस मामले में माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में स्टेन स्वामी के साथ ही और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

स्टेन स्वामी की गिनती देश के उन एक्टिविस्ट में होती है, जिन्होंने आदिवासियों, दलितों और अन्य पिछड़े तबके के लोगों के लिए आवाज़ उठाई। स्टेन स्वामी किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने गरीब तबके के बच्चों के लिए स्कूल चलाने का भी काम किया।

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में शामिल होने के आरोप में अब तक 16 लोगों को जेल भेजा गया है। जिसमें कवि-कार्यकर्ता वरवारा राव, सुधीर धावले, वकील सुधा भारद्वाज, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, अरुण परेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस, हनी बाबू, शोमा सेन, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े हैं।


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