फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

चंदा ने पूछा तारों से, तारों ने पूछा हज़ारों से सबसे अच्छा कौन है…पापा मेरे पापा। हां, वहीं पिता जो घर की जिम्मेदारियों को कंधे पर उठाकर सुबह घर से निकल जाया करते हैं। पिता हैं तो हम बच्चों के सभी शौक पूरे होते हैं। मम्मी के डांट से पापा ही तो बचाते हैं। लेकिन उनसे ज्यादा परिवार में कड़क मिजाज भी कोई नहीं। मां से तो हम बच्चे कुछ भी कह लेते हैं। उनसे लड़ते हैं, झड़गते हैं, अपना प्यार भी उढेलते हैं, गले भी लगाते हैं, आई लव यू भी कह लेते हैं। पर पिता से चाहे कितना भी प्यार कर ले उन्हें कभी नहीं कह पाते कि हम बच्चे उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें कभी गले नहीं लगा सकते। कहते हैं दुनिया में सबसे मुश्किल काम है पापा को गले लगाना और उनसे थैंक यू कहना। पिता का किरदार हमेशा जिम्मेदारियों के बोझ में दबा रहता है इसलिए वे भी अपना प्यार आप बच्चो को कभी खुलकर दिखा नहीं पाते।

पिता की छवि हमारे समाज में कुछ ऐसी ही गढ़ी हुई है। हालांकि, वक्त के साथ अब पिता बच्चों के दोस्त भी बन रहे हैं। पहले की तरह अब घर वापस में उनके ऑफिस से लौटने पर डर का माहौल नहीं होता। पिता पर लिखने को दिल बहुत करता है पर लिखने जाओ तो कलम रुक जाते हैं क्योंकि क्या लिखा जाए और क्या छोड़ दिया जाए। हम बेटियों के लिए तो पापा पहला प्यार होते हैं। अपने लाइफ पार्टनर में पिता की छवि को ढूंढते हैं।

हम बेटियां फिर भी बहुत लक्की होते हैं ज़िन्दगी में एक बार उन्हें गले लगाने का मौका तो मिल ही जाता है। जब हमारी विदाई हो रही होती है पर लड़के चाह कर भी अपने पिता को गले नहीं लगा पाते। लेकिन जो निःस्वार्थ प्यार माता-पिता हमसे करते हैं कोई और नहीं कर सकता। इसलिए मौका मिले तो कुछ न कुछ हल्के आवाज में कह देना चाहिए और आज से अच्छा मौका कभी नहीं मिलेगा। वैसे तो, माता-पिता के लिए कोई एक खास दिन निर्धारित नहीं किया जा सकता लेकिन उन्हें किसी दिन के बहाने स्पेशल फील कराया जा सकता है तो क्यों नहीं किया जाए।

पापा हैप्पी ‘फादर्स डे’। आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो। आपने हमेशा हमें किताबी ज्ञान से अधिक व्यावहारिक ज्ञान रखने की सीख दी। लोगों को दुनिया के नज़र से नहीं बल्कि अपने नज़र से देखने की समझ रखना सिखाया। पापा आप स्वस्थ रहे, हमेशा खुश रहे। और आप सभी को फादर्स डे की ढेर सारी बधाई। आज आप सब भी उन्हें स्पेशल फील कराएं हालांकि ये काफी मुश्किल काम है। फिर भी आप बुके या फिर गुलाब उन्हें दे। हो सकता है कि आप अपनी भावनाएं उनकी प्रति व्यक्त न कर पाएं। तो भी कोई नहीं आप उन्हें गुलाब जरूर दें। और हमारे पास आपके लिए एक आइडिया है जिसे आजमाकर आप इस दिन को खास बना सकते हैं। हिंदी सिनेमा में ही कुछ फिल्में ऐसी हैं जिन्होंने पिता के रिश्ते को पर्दे पर ऐसा उकेरा है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। आप उन फिल्मों को अपने पापा के साथ मिलकर आज देखें।

सारांश

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

अनुपम खेर 28 साल की उम्र में साठ साल के बुजुर्ग का किरदार निभाया था फ़िल्म ‘सारांश’ में। यह फ़िल्म साल 1984 में आई थी। अनुपम खेर इस फ़िल्म में एक ऐसे पिता का किरदार निभाया था जिसके बेटे की अमेरिका में मौत हो जाती है और उसे उसकी अस्थियां पाने के लिए देश में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। अपने बेटे के मरने के बाद भी एक पिता उसके लिए हर जिम्मेदारी कैसे पूरी करता है इस फिल्म में बाखूबी दिखाया गया है।

चाची 420

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

फिल्म ‘चाची 420’ तो आपको याद ही होगी। यह फ़िल्म 1997 में आई थी। जिसमें चाची का किरदार निभाने वाले कमल हसन और उनकी बेटी के रिश्ते को बखूबी दिखाया गया है। फिल्म में बेटी और पत्नी से अलग रह रहे कमल हासन को जब पता चलता है कि बेटी के लिए आया ढूंढा जा रहा है तो वो झट से औरत का लुक लेकर आ जाती है। ऐसे तो यह फ़िल्म कॉमेडी फ़िल्म थी लेकिन एक पिता औरबेटी के रिश्ते को कमाल दिखाया गया है।

रिश्ते

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

‘रिश्ते’ फ़िल्म 2002 आई थी। इस फ़िल्म में एक पिता के संघर्ष को बहुत ही इमोशनल तरीके से दिखाया गया है। अपने बेटे के साथ तंग हाल में भी जी रहे अनिल कपूर की जिंदगी में जब उनकी पत्नी वापस आ जाती हैं तो भूचाल आ जाता है। तलाक ले चुके पति-पत्नी बेटे को पाने लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार होते हैं। बेटा अनिल कपूर के साथ ही रहना चाहता है लेकिन जब करिश्मा मां के किरदार में उसे हासिल करने आ जाती हैं तो फिल्म में पिता की परेशानी और लाचारी के बाद भी हिम्मत देखने को मिलती है।

मैं ऐसा ही हूँ

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

अजय देवगन और सुष्मिता सेन स्टारर फिल्म ‘मैं ऐसा ही हूं’ 2005 में आई थी। इस फिल्म में अजय देवगन ने एक मानसिक रोगी पिता का किरदार निभाया था जो अपनी बेटी से बहुत करता है। बेटी की कस्टडी लेने के लिए जान लगा देता है और कोर्ट में साबित कर देता है कि वह अपनी बेटी की जिम्मेदारी उठाने वाला एक बेहतर पिता बन सकता है। बाप-बेटी के रिश्ते पर बनी ये फिल्म फादर्स डे पर देखना वाकई खास होगा।

102 नॉट आउट

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

फिल्म ‘102 नॉट आउट’ में भी पिता और बेटे के बीच के प्यार को दिखाया गया है। अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर इस फ़िल्म में मुख्य किरदार में हैं। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे जिंदगी की जंग लड़ता हुआ एक पिता अपने बेटे के दिल में दोबारा जिंदगी जीने की ख्वाहिश जगाता है। फिल्म में अमिताभ ने पिता का रोल निभाया और ऋषि कपूर उनके बेटे की भूमिका में थे। यह फिल्म हर बेटे के दिल को छू जाने वाली फिल्म है।

पा

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2009 में फ़िल्म आई थी ‘पा’। जिसमें अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और विद्या बालन मुख्य किरदार में थे। यह फ़िल्म उस समय कई सारे रिकॉर्ड तोड़ें। डायरेक्टर आर बाल्कि के निर्देशन में बनी इस फिल्म में पिता और पुत्र के एक अनोखे रिश्ते को दिखाया है। फिल्म में प्रोजेरिया से पीड़ित बेटे का किरदार निभाया अमिताभ बच्चन ने और उसके पिता का किरदार खुद उनके बेटे अभिषेक ने निभाया है। यह फ़िल्म नहीं देखे हो तो जरूर देखें।

पीकू

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

‘पीकू’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें हर बेटी हर बेटा को फ़िल्म के पिता भास्कर बनर्जी में अपने पिता दिखते ही होंगे। ऐसा लगता है इस फ़िल्म को देखकर की ये तो मेरे ही घर की प्रॉब्लम दिखाई गई है। मैं फ़िल्म में पीकू के पिता की गैस की प्रॉब्लम की बात नहीं कह रही। पिता का आवाज देना, छोटी-छोटी बातों में परेशान हो जाना, लोगों को शक की नज़र से देखना आदि कई ऐसी बातें हैं फ़िल्म में जो आपको कनेक्ट करती है। फ़िल्म की बात की जाएं तो इस फिल्म में पीकू का किरदार निभाई हैं दीपिका पादुकोण और पीकू के पिता भास्कर बनर्जी के रोल में अमिताभ बच्चन ने एक मॉर्डन फादर का रोल बाखूबी निभाया था। हमेशा बहस और लड़ने-झगड़ने वाले बाप-बेटी के रोल में दोनों एक्टर इस प्यारे रिश्ते को निभाने में कामयाब रहे थे। पिता की जिम्मेदारी को घर बसाने से ज्यादा तवज्जो देकर एक आदर्श बेटी की कहानी को दर्शाने वाली ये फिल्म हर बेटी और पिता को देखनी चाहिए।

दंगल

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ बाप-बेटी के रिश्तों पर बनी है। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे एक पिता अपनी बेटियों को आगे बढ़ाता है वो भी समाज से लड़ते हुए। फिल्म की कहानी पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवनपर आधारित है। वह हमेशा एक बेटे की चाह में जी रहे थे जो गोल्ड मेडल जीत कर लाने का उनका सपना पूरा कर सके। लेकिन चौथी बार भी उनके घर लड़की ही होती है। इसके बाद वह अपनी लड़कियों को ही कुश्ती लड़ना सिखाते हैं। इस फ़िल्म के जरिये बताया गया है कि कैसे एक पिता सभी परेशानियों को घोट जाता है। और बच्चों के भविष्य के लिए सब कुछ दांव पर लगा देता है। बेटी के गलत होने पर बात करना छोड़ देता है पर जैसे ही बेटी एक कॉल करती वो पिघल जाता है। यह फ़िल्म में एक पिता, पिता के साथ दोस्त और गुरु होता है यह दर्शया है। यह फ़िल्म बहुत कुछ सीखा जाती है।

अंग्रेजी मीडियम

फादर्स डे तो मना लिया लेकिन क्या पिता पर बनने वाली ये फिल्में आपने देखी हैं?

इरफान खान की आखिरी फ़िल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ एक पिता और बेटी की सबसे बेहतरीन और मार्मिक कहानी है। जहां बेटी अपने सपने को पूरा करना चाहती है और पिता उसके सपने को पूरा करने के सब कुछ दांव पर लगा देता है ताकि बेटी खुश रहे। उसी तरह से ‘हिंदी मीडियम’ फ़िल्म थी। जहां बेटी को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने के लिए एक पिता सब कुछ करता है। इसी तरह से अकेले हम अकेले तुम, मासूम, जानवर, डैडी, पिता जैसी कई फिल्में बनी जो पिता के चरित्र को साफ-साफ उजागर की।


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