किसानों ने फिर से वार्ता की पहल के लिए लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र

किसानों ने फिर से वार्ता की पहल के लिए लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र

कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस आंदोलन के शुरू हुए 176 दिन हो चुके हैं। बीते साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई लेकिन वार्ता हर बार विफल रही। कोरोना वायरस के कारण लंबे समय से सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर बंद है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक पत्र लिखा है।

पत्र में फिर से किसानों से बातचीत शुरू करने की अपील की गई है। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए पत्र में मुख्य तौर पर किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन पर सरकार के रवैये का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही ग्रामीणों और सामान्य नागरिकों के लिए कोरोना महामारी से बचाव के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया गया है।

बीते शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान भी जारी की। उस बयान में कहा गया कि उसने सरकार से प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ फिर से बातचीत शुरू करने को कहा है। एक सरकारी समिति ने 22 जनवरी को किसान नेताओं से मुलाकात की थी। 26 जनवरी के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। गणतंत्र दिवस के दिन ही राष्ट्रीय राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी।

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किसानों ने फिर से वार्ता की पहल के लिए लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र

एसकेएम ने एक बयान में कहा, “संयुक्त किसान मोर्चा ने आज प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने को कहा है। इस पत्र में किसान आंदोलन के कई पहलुओं और सरकार के अहंकारी रवैये का जिक्र है।”

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान नहीं चाहते हैं कि कोई भी महामारी की चपेट में आए। साथ में वे संघर्ष को भी नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यह जीवन और मृत्यु का मामला है और आने वाली पीढ़ियों का भी।

पत्र में कहा गया है, “कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों ने खारिज कर दिया है, जिनके नाम पर ये बनाए गए हैं और मौके का इस्तेमाल सभी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने के लिए करती…दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सरकार के मुखिया के रूप में, किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत को फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप पर है।”

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किसानों ने फिर से वार्ता की पहल के लिए लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र

हाल ही में किसानों के संगठन ने दिल्ली की सीमाओं पर उनके प्रदर्शन के छह महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस संबंध में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में लोगों से 26 मई को अपने घरों, वाहनों और दुकानों पर काले झंडे लगाने की अपील की।

किसान नेताओं का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए और किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। वे कानून जो किसानों द्वारा ठुकराए जा चुके हैं, उन्हें जबर्दस्ती लागू करना देश की लोकतांत्रिक और मानवता के मूल्यों के खिलाफ है। सयुंक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्ण आंदोलन में विश्वास रखता है और शांतिपूर्ण विरोध ही जारी रहेगा।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब किसान बातचीत करने के लिए सरकार से कह रहे हैं। इससे पहले किसान संगठनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। वहीं किसानों की हर बार कोशिश रही है कि सरकार से दुबारा से बातचीत शुरू हो लेकिन सरकार इस मामले में चुप्पी साध रखी है। जबकि किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान इन विवादित कानूनों को वापस करवाए बिना वापस नहीं जाएंगे, चाहे सरकार जितना समय लगा लें।


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