लोनी में 4 साल से आंदोलनरत 6 गांव के किसानों ने ली भू-समाधि

लोनी में 4 साल से आंदोलनरत 6 गांव के किसानों ने ली भू-समाधि

दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के लोनी में बुधवार को छह गांव के किसानों ने भू-समाधि ले लिया। पूर्व की घोषणा के चलते किसान नेता मनवीर तेवतिया के नेतृत्व में धरनास्थल आवास विकास कार्यालय के सामने किसानों ने भू-समाधि ले लिया।

किसानों के इस विरोध-प्रदर्शन को देख प्रशासन तनाव में आ गया और अधिकारियों ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान पहले से खोदे गए गड्ढों में जाकर लेट गए।

दरअसल, आवास विकास परिषद की मंडोला विहार योजना के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर बीते 4 सालों से भी अधिक समय से धरने पर बैठे किसानों जिंदा समाधि का फैसला लिया है।

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ताजा जानकारी के मुताबिक, जिंदा समाधि के कड़ी में धरना स्थल पर चार दिन पूर्व किए गए गड्ढों में बुधवार को किसान लेट गए। आंदोलन के केंद्र में लगभग 270 एकड़ जमीन है, जिसे यूपी हाउसिंग बोर्ड ने मंडोला विहार हाउसिंग स्कीम के लिए किसानों से अधिग्रहित किया था।

किसानों ने दस दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एसडीएम लोनी शुभांगी शुक्ला को ज्ञापन सौंपा था और अपनी मांगे पूरी करने की गुहार लगाई थी। किसानों ने प्रशासन को इसके लिए 14 सितंबर तक का समय दिया था।

अपर जिलाधिकारी प्रशासन ऋतु सुहास ने मंगलवार को हिंडन एयरफोर्स पुलिस चौकी पर किसान प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर समाधि न लेने को लेकर बात की थी, पर वार्ता में संतोषजनक समाधान नहीं निकला जिसके चलते किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

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किसान नेता नीरज त्यागी ने बताया कि करीब 5 साल से कई बार वार्ता हुई है लेकिन किसानों का समाधान नहीं हुआ है। किसान आवास विकास परिषद की मंडोला विहार योजना के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर साढे 4 साल से धरने पर बैठे थे। जब मामले का हल नहीं निकला तो गुस्साए किसानों ने जिंदा समाधि लेने का फैसला किया।

सरकार ने मंडोला विहार योजना के लिए मंडवाला सहित छह गांवों की भूमि अधिग्रहण किया था। किसानों का आरोप है कि उन्हें निम्न दर पर मुआवजा दिया गया है। उचित मुआवजे की मांग को लेकर मंडोला समय 6 गांव के किसान पिछले साढे 4 साल से धरने पर बैठे थे।

किसानों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी बात को शासन स्तर तक नहीं पहुंचाया गया जिससे उनकी समस्या का हल नहीं हो सका। इसके बाद गुस्साए किसानों ने जिंदा समाधि लेने का फैसला किया। जिसके लिए किसानों ने 15 गड्ढे भी कर लिए थे। पूर्व निर्धारित योजना के तहत बुधवार सुबह करीब 9:00 बजे किसान धरना स्थल पर पहुंचे।

वही, 15 किसानों को देखते हुए देखकर अन्य किसानों ने भी समाधि का निर्णय लिया है। जिसके चलते अन्य किसान जिंदा समाधि लेने को गड्ढा खोदने में लगे। किसान नेता नीरज त्यागी ने कहा कि मुआवजे की मांग पूरी न होने पर समाधि लेने की बात कही है।

उधर, नीरज त्यागी का कहना है कि आवास विकास परिषद के खिलाफ मंडोला विहार योजना से प्रभावित छह गांव के किसान करीब पांच वर्ष से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

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धरनारत किसानों ने कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 14 सितंबर तक बढ़े मुआवजे और तीनों कृषि कानून का समाधान न निकालने पर जिंदा समाधि लेने की बात कही थी।

एक दिन पूर्व ही उपजिलाधिकारी (लोनी) शुभांगी शुक्ला, क्षेत्राधिकारी अतुल सोनकर समेत आवास विकास परिषद के अधीक्षण अभियंता डीबी सिंह मंगलवार शाम करीब छह बजे धरनास्थल पर किसानों से मिलने पहुंचे थे। इसके साथ ही उन्होंने किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल की वार्ता अपर जिलाधिकारी प्रशासन से हिंडन एयरफोर्स पुलिस चौकी पर कराई।

बावजूद इसके किसानों का कहना है कि वार्ता में कोई संतोषजनक समाधान नहीं हुआ है। किसान अपने निर्णय पर अटल हैं और बुधवार को किसान अपने नेता मनवीर तेवतिया के साथ धरनास्थल पर बने गड्ढों में समाधि लेकर आमरण अनशन करेंगे। लोनी की उप-जिलाधिकारीशुभागी शुक्ला का दावा है कि किसानों को वार्ता के लिए बुलाया है। वार्ता कर किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा।


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