टिकैत कहा हुआ सच, किसान क्रेडिट कार्ड बन रहा मौत का कार्ड, किसान ने लगाई फांसी

टिकैत कहा हुआ सच, किसान क्रेडिट कार्ड बन रहा मौत का कार्ड, किसान ने लगाई फांसी

बीते अगस्त हरियाणा के नूंह में किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसान क्रेडिट कार्ड एक दिन किसान की मौत का कार्ड बनेगा। एक महीने बाद उनकी बात सच होती दिख रही है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में एक 45 साल के किसान ने आर्थिक तंगी से तंग आकर पेड़ से लटक कर फांसी लगा ली। परिवारवालों ने बताया कि सुखराम भदौरिया ने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए पिछले साल 50,000 रुपये का लोन लिया था।

सुखराम समय पर पैसा नहीं चुका पाए जिसकी वजह से बैंक से उन्हें नोटिस आया था। इसके बाद सुखराम ने एक पेड़ से फांसी लगा ली। फिलहाल, पुलिस ने सुख के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया है।

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द इंडियन एक्सप्रेस ने एसएचओ (अछलदा पुलिस स्टेशन) तारिक खान के हवाले से लिखा है, “सुखराम भदौरिया बुधवार को अपने खेत में जाने के लिए घर से निकले थे, लेकिन कुछ घंटों बाद नीम के पेड़ से उन्हें लटका पाया गया। शव को कुछ स्थानीय लोगों ने देखा, जिन्होंने परिवार को खबर किया।”

तारिक खान ने आगे कहा, “हमने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनके परिवार के सदस्यों का दावा है कि उन्होंने अपनी जान इसलिए दे दी क्योंकि उन पर अपना कर्ज चुकाने का जबरदस्त दबाव था।”

टिकैत कहा हुआ सच, किसान क्रेडिट कार्ड बन रहा मौत का कार्ड, किसान ने लगाई फांसी

सलेमपुर गांव निवासी सुखराम भदौरिया खेती बाड़ी का काम करते थे। परिजनों ने बताया कि सुखराम को सोमवार को रिकवरी नोटिस मिला था, और गुरुवार को उन्होंने अपनी जान दे दी।

पुलिस को सुखराम भदौरिया के पुत्र योगेंद्र ने बताया कि उनके पिता ने तीन बीघा जमीन पर सेंट्रल बैंक की अछल्दा शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज ली थी। घर की माली हालत ठीक न होने से वह कर्ज की अदायगी नहीं कर पा रहे थे।

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बेटे ने बताया कि बैंक से कई बार रुपये जमा करने के लिए दबाव भी बनाया गया। 6 सितंबर को बैंक से नोटिस भेज कर रुपये जमा करने की बात कही गई थी। नोटिस मिलने के बाद से पिता परेशान चल रहे थे।

जैसा कि मालूम है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी महत्वकांक्षी योजना किसान क्रेडिट कार्ड की शुरूआत की है। लेकिन जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इस तरह का लोन किसानों में आत्महत्या को और अधिक बढ़ाएगा, क्योंकि खेती-किसानी एक कच्चा सौदा है।

अगर कोई किसान लोन लेकर बोवाई करता है और किसी प्राकृतिक आपदा के चलते फसलों का नुकसान हो गया तो वह लोन या उसपर बनने वाला ब्याज कहा से जमा करेगा। लेकिन बैंक समय पर पैसे के किए दबाव बनाएंगे ही ऐसे में किसान आत्महत्या करेंगे।


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