फेसबुक यूजर में आए गिरावट की एक वजह रही है लोगों की प्राइवेसी। अगर आप फेसबुक पर हैं तो ये आपका सब कुछ रिकॉर्ड करता है। आप चाहकर भी खुद को ऑफलाइन तक नहीं कर सकते। हालांकि, शुरुआत में ऐसा नहीं था पर धीरे-धीरे फेसबुक ने खुद के मुताबिक सब कुछ करना शुरू किया और लोगों को इसके लिए मजबूर किया।
उन्हीं में एक फीचर था फेस रिकग्निशन सिस्टम। इसमें फेसबुक आप जो फोटो या वीडियो इस पर डालते थे उसे रीड करता था दूसरे लोगों को टैग करता था और उसका डाटा अपने पास रखता था। इसको लेकर कई एक्सपर्ट्स में आपत्ति जताई थी। लोगों की चिंता रही है कि अगर उनका डाटा किसी दूसरे के हाथ लग गया तो क्या होगा। खासकर तब जब फेसबुक के डाटा लगातार लिक हो रहे हैं।
ऐसे में फेसबुक ने अब एलान किया है कि वह अब फीचर को आगे कंटिन्यू करेगा। फेसबुक ने मंगलवार को घोषणा की कि वो यूजर्स और रेगुलेटर्स की बढ़ती चिंता को देखते हुए अपने फेस रिकग्निशन सिस्टम को बंद करने का फैसला किया है।
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जैसा कि मालूम है कि फेसबुक की पेरेंट कंपनी का नाम अब मेटा हो गया है। उसने कहा कि इस नोए बदलाव को आने वाले हफ्तों में रोलआउट किया जाएगा। कंपनी का कहना है कि नए बदलाव के तहत वह लोगों को फोटो और वीडियो में टैग करने के लिए फेशियल रिकग्निशन एल्गोरिदम का इस्तेमाल बंद कर देगी।
साथ ही कंपनी लोगों को आइडेंटिफाई करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले फेशियल रिकग्निशन टेम्पलेट को भी डिलीट किया जाएगा। फेसबुक का कहना है कि कंपनी इस नए बदलाव के तहत 1 अरब से ज्यादा लोगों के इंडिविजुअल फेशियल रिकग्निशन टेम्पलेट्स को डिलीट करेगी।
एक ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने कहा है कि फेसबुक के डेली एक्टिव यूजर्स में से एक तिहाई से ज्यादा या 600 मिलियन से ज्यादा अकाउंट्स फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को यूज करते हैं। पोस्ट के मुताबिक, फेसबुक अब फोटो या वीडियो में ऑटोमैटिकली लोगों के चेहरों को पहचान नहीं पाएगा।
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हालांकि, इस नए बदलाव से ऑटोमैटिक ऑल्ट टेक्स्ट टेक्नोलॉजी पर भी असर पड़ेगा। इसका इस्तेमाल कंपनी ब्लाइंड लोगों को इमेज डिस्क्राइब करने के लिए करती है। फेस रिकग्निशन सिस्टम पर डिपेंड फेसबुक सर्विसेज को आने वाले हफ्तों में हटा दिया जाएगा।
फेसबुक ने बताया कि फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को लेकर सोसाइटी में कई चिंताएं हैं और रेगुलेटर्स अभी भी इसके यूज को कंट्रोल करने वाले नियमों का एक क्लियर सेट देने के प्रोसेस में हैं। इस जारी अनिश्चितता के बीच, हम मानते हैं कि रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल के मामलों के एक नैरो सेट तक सीमित करना सही रहेगा।
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