पेगासस जासूसी कांड की जांच करेगी एक्सपर्ट कमेटी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

पेगासस जासूसी कांड की जांच करेगी एक्सपर्ट कमेटी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया। स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस जासूसी केस की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी। सख्त टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं की जा सकती।

कोर्ट ने कहा, “जासूसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रहरी के रूप में प्रेस की भूमिका पर गलत प्रभाव डाल सकती है। कहा गया कि एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहद जरूरी होती हैं। लेकिन निजता के अधिकार में तभी हस्तक्षेप हो सकता है जब राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी हो।”

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी। चीफ जस्टिस एन.वी. रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इससे पहले 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिखा था। तब कोर्ट ने कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?

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पीठ ने एक टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह मामले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया, इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने एक्सपर्ट कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके लिए 8 सप्ताह का समय कमेटी को दिया गया है। एक्सपर्ट कमेटी में कुल तीन सदस्य होंगे जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर.वी. रवींद्रन करेंगे। वहीं, अन्य सदस्य आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय होंगे।

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शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि वह अगले कुछ दिनों में इस बारे में अपना आदेश सुनायेगी। न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि अगर सरकार दोबारा विस्तृत हलफनामा देना चाहती है तो मामले का उल्लेख करें।

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पीठ ने आगे कहा था कि वह केवल केंद्र से जानना चाहती है जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर विस्तृत हलफनामा जमा करने के प्रति अनिच्छा जताई है कि क्या पेगासस का कथित इस्तेमाल व्यक्तियों की जासूसी करने के लिए किया गया, क्या यह कानूनी तरीके से किया गया।

शीर्ष अदालत ने पत्रकारों और कुछ अन्य लोगों द्वारा पेगासस विवाद में निजता के हनन को लेकर जताई गई चिंता पर कहा था कि उसकी रुचि राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विस्तृत जानकारी में नहीं है।

वहीं, केंद्र अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा था कि सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया या नहीं इसको लेकर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को अनिच्छुक है। केंद्र का कहना था कि यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है और न ही यह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के हित’ में है।


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