पाकिस्तान परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. अब्दुल कदीर खान का निधन

पाकिस्तान परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. अब्दुल कदीर खान का निधन

पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कदीर खान का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 85 साल के थे। डॉ. खान को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। काफी दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। उन्हें खान रिसर्च लैबोरेटरीज (KRL) अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जियो न्यूज के मुताबिक, उन्हें रविवार सुबह सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने कदीर खान के निधन को पाकिस्तान के लिए बड़ा नुकसान बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन (हम अल्लाह ही से हैं और अल्लाह के पास जाना है) डॉ. अब्दुल कादिर खान के निधन ने गहरा दु:ख पहुंचाया है। यह बड़ा हानि है! पाकिस्तान उसका हमेशा सम्मान करेगा। पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मुल्क उनका हमेशा ऋणी रहेगा।”

कदीर खान के निधन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर शोक किया है। उन्होंने लिखा है, ”डॉ अब्दुल कदीर खान का निधन बहुत ही दु:खद है। उन्हें मुल्क को लोग बहुत प्यार करते थे क्योंकि पाकिस्तान को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने में उनकी अहम भूमिका थी। इससे पाकिस्तान को एक आक्रामक परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी से सुरक्षा मिली। पाकिस्तानियों के लिए वो राष्ट्रीय प्रेरक थे।”

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वहीं, पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने लिखा है, ”डॉ. कदीर खान के निधन से पूरा मुल्क सदमे में है। उन्होंने मुल्क के लिए जो किया है, वो अतुलनीय है।” पाकिस्तान में डॉ. कदीर खान को ‘मोहसिन-ए-पाकिस्तान’ यानी पाकिस्तान का रक्षक भी कहा जाता है।

डॉ. अब्दुल कदीर खान का जन्म अविभाजित भारत के भोपाल में हुआ था। उनका परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया था। वे साल 2004 में वैश्विक परमाणु प्रसार स्कैंडल के केंद्र में थे। उन पर परमाणु मटीरियल के प्रसार का आरोप लगा था। इसके लिए उन पर पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी उंगली उठाई थी। कदीर खान ने टेलीविजन पर प्रसारित एक संदेश में ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को परमाणु तकनीक बेचने की बात को स्वीकार भी किया था।

पाकिस्तान परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. अब्दुल कदीर खान का निधन

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हालांकि, वे बाद में अपने इस बाद से मुकर गए थे। कदीर खान ने साल 2008 में ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन पर राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का दबाव था, इसीलिए बेचने की बात कही थी। तब उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने मन से नहीं कहा था बल्कि उन पर दबाव था। कदीर खान इस इंटरव्यू में परमाणु प्रसार के मामले में इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी से जाँच में सहयोग करने से भी इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा था, ”मैं उनसे क्यों बात करूंगा? मैं इसे लेकर बाध्य नहीं हूँ। परमाणु अप्रसार संधि पर हमने हस्ताक्षर नहीं किया है। मैंने किसी अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन नहीं किया है।” वहीं, पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार डॉन से उन्होंने कहा था, ”मैं बहुत निराश हूँ। न तो प्रधानमंत्री इमरान खान और न ही उनकी कैबिनेट के किसी सदस्य ने मेरी सेहत के बारे में पूछताछ की।”


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