दिलीप कुमार ने दुनिया-ए-फ़ानी को कहा अलविदा, सुबह 7:30 बजे ली अंतिम सांस

दिलीप कुमार ने दुनिया-ए-फ़ानी को कहा अलविदा, सुबह 7:30 बजे ली अंतिम सांस

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया है। वे 98 साल के थे। आज बुधवार सुबह 7:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनको सांस लेने में दिक्कत के बाद 29 जून को दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

दिलीप कुमार काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। उनके पारिवारिक मित्र फैजल फारुखी ने आज अभिनेता के ट्विटर से उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने लिखा- “बहुत भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि अब दिलीप साब हमारे बीच नहीं रहे।”

उन्होंने एक दूसरे ट्विट में जानकारी दी कि आज शाम 5:00 बजे लिजेंड्री किंग का अंतिम संस्कार मुंबई के सांताक्रूज स्थित जुहू क़ब्रस्तान में किया जाएगा।

इंडस्ट्री में दिलीप कुमार के निधन की खबर मिलते ही शोक की लहर है। लोग उनके निधन पर दु:ख व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर दुख व्यक्त किया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई किंवदंती के रूप में याद किया जाएगा। उन्हें अद्वितीय प्रतिभा का आशीर्वाद प्राप्त था, जिसके कारण पीढ़ियों के दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए थे। उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है। उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना। श्रद्धांजलि!”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर कहा, “दिलीप कुमार जी के परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। भारतीय सिनेमा में उनके असाधारण योगदान को आने वाली पीढ़ियों के लिए याद किया जाएगा।”

दिलीप कुमार का असल नाम मोहम्मद युसूफ खान था। 11 दिसंबर 1922 को उनका जन्म हुआ था। उन्हें बॉलीवुड सिनेमा में द फर्स्ट खान के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी सिनेमा में मेथड एक्टिंग का श्रेय उन्हें ही जाता है।

दिलीप कुमार ने 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से अपने अभिनय की शुरुआत की थी, इसे बॉम्बे टॉकीज ने प्रोड्यूस किया था। लगभग पांच दशक के अभिनय करियर में 65 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ फिल्में हैं- ‘अंदाज’ (1949), ‘आन’ (1952), ‘दाग’ (1952), ‘देवदास’ (1955), ‘आजाद’ (1955), ‘मुगल-ए-आजम’ (1960), ‘गंगा-जमुना’ (1961), ‘राम और श्याम’ (1967) जैसी फिल्मों में नज़र आए।

1976 में दिलीप कुमार ने काम से करीब 5 साल का ब्रेक लिया। उसके बाद 1981 में उन्होंने क्रांति फिल्म से फिर वापसी की। इसके बाद वो ‘शक्ति’ (1982), ‘मशाल’ (1984), ‘कर्मा’ (1986), ‘सौदागर’ (1991)। उनकी अंतिम फिल्म किला थी जो 1998 में रिलीज हुई।


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