बैंक डूबने पर 5 लाख तक तो मिल जाएंगे पर उससे अधिक हुआ तो क्या होगा?

बैंक डूबने पर 5 लाख तक तो मिल जाएंगे पर उससे अधिक हुआ तो क्या होगा?

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन की मंजूरी मिल गई है। अब बैंक डूबने पर खाता धारकों को 90 दिनों के भीतर 5 लाख रुपये तक की रकम मिल जाएगी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंजाब एंड महाराष्‍ट्र को-ऑपरेटिव बैंक की तरह संकट में फंसे बैंकों के ग्राहकों राहत देने के उद्देश्‍य से ये फैसला लिया है। इसके लिए कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्‍ट, 1961 (DICGC Act) में किए जाने वाले संशोधनों को मंजूरी दे दी है।

कैबिनेट के इस कदम का उद्देश्‍य पीएमसी बैंक, यस बैंक और लक्ष्‍मी विलास बैंक जैसे संकटग्रस्‍त बैंकों के ग्राहकों की मुश्किलों को कम करना है। इससे मोरेटोरियम के तहत आने वाले बैंकों के डिपॉजिटर्स को अपना पैसा निकालने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) के फैसले का इंतजार नहीं करना होगा।

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अब बैंक के मॉरेटोरियम के तहत आने पर डिपॉजिटर्स 90 दिन के भीतर 5 लाख रुपये तक निकाल सकेंगे। केंद्र सरकार ने किसी भी बैंक के नियमित कामकाज को निलंबित करने या रिजर्व बैंक की ओर से निगरानी में रखने पर डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है।

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) रिजर्व बैंक के तहत काम करता है। जैसा कि मालूम है कि बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा रकम सुरक्षित होने की गारंटी डीआईसीजीसी की ओर से ​होती है।

बैंक डूबने पर 5 लाख तक तो मिल जाएंगे पर उससे अधिक हुआ तो क्या होगा?

डिपॉजिट बीमा के प्रावधानों के मुताबिक, बैंक के दिवालिया होने या उसका लाइसेंस रद्द होने पर 5 लाख रुपये तक की राशि का भुगतान जमाकर्ता को किया जाता है, फिर चाहे बैंक में उसका कितना ही पैसा जमा क्यों न हो।

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उल्लेखनीय है कि बीमा की रकम पहले एक लाख रुपये थी पर साल 2020 में सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट 5 गुना बढ़ाने का फैसला किया था। इसके बाद अब बीमा की रकम देने की अवधि भी तय कर दी गई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि डीआईसीजीसी कानून में संशोधन के साथ जमा बीमा का दायरा बढ़ जाएगा और इसके अंतर्गत 98.3 प्रतिशत बैंक खाताधारक पूरी तरह संरक्षित हो जाएंगे।

हालांकि, वित्त मंत्री ने इस बात को स्पष्ट किया कि अगर ग्राहक की डिपॉजिट रकम 5 लाख रुपये से अधिक है तब भी उसे अधिकतम 5 लाख तक ही मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पहले बीमा की ये रकम 50 हजार रुपये थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इजाफा कर पहले 1 लाख रुपये किया गया। इसके बाद के बदलाव में ये रकम अब 5 लाख रुपये हो गई है।

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अपने बजट भाषण में बीते दिनों निर्मला सीतारमण ने कहा था कि अगर कोई बैंक अस्थायी रूप से अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असफल हो जाता है तो ऐसे बैंक में रकम जमा करने वाले व्यक्ति आसानी से और समय से अपनी जमाराशि को उस सीमा तक हासिल कर सकेंगे, जितने पर उन्हें बीमा सुरक्षा मिली है।

साथ ही कहा था कि मैं डीआईसीजीसी एक्‍ट, 1961 में संशोधनों को प्रस्‍तावित कर रही हूं। बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने बताया कि डिपॉजिटर्स के हितों का ध्‍यान रखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था। डीआईसीजीसी हर तरह और हर क्षेत्र के बैंक को डिपॉजिट इंश्‍योरेंस उपलब्‍ध कराता है।


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