भारत को ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ के जिस डेटा पर आपत्ति, वह इस्तेमाल ही नहीं हुआ

भारत को ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ के जिस डेटा पर आपत्ति, वह इस्तेमाल ही नहीं हुआ

भारत ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021‘ की रैंकिंग में सात पायदान फिसल कर 101वें स्थान पर पहुंच गया है। बीते साल भारत रैंकिग में 94वें पायदान पर था। इस तरह भारत भूखमरी के मामले में पाकिस्तान और नेपाल से भी बुरे स्थितियों में पहुंच गया है। लेकिन भारत सरकार का कहना है कि रिपोर्ट में इस्तेमाल डेटा से वह संतुष्ट नहीं है। साथ ही सरकार ने आंकड़े जमा करने के तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं।

हालांकि, ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ओर से आरोपों को खारिज किया गया है। उसका कहना है कि भारत सरकार जिस डाटा का हवाला देकर रिपोर्ट को खारिज कर रही है वह रिपोर्ट में इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। संगठन की एडवाइजर ने सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत सरकार जिस फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के टेलिफोन पोल का हवाला देकर रिपोर्ट पर सवाल उठा रही है, ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने अपनी रिपोर्ट में उस पोल के डेटा का इस्तेमाल ही नहीं किया है।

उन्होंने बताया कि कि रिपोर्ट को तैयार करने में 4 इंडिकेटर्स अल्पपोषण, चाइल्ड स्टंटिंग, चाइल्ड वेस्टिंग और 5 साल तक के बच्चों की मत्युदर का इस्तेमाल किया गया है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में इस्तेमाल किए गए चारों इंडिकेटर्स को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बताया है।

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यह रिपोर्ट कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हुंगर हिल्फे नाम की संस्थाओं ने अलग-अलग स्त्रोतों जैसे- फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO), यूनिसेफ, WHO,वर्ल्ड बैंक, कॉम्प्रिहेंसिव नैशनल न्यूट्रिशन सर्वे वगैरह से हासिल किए गए डेटा के आधार पर तैयारी की है।

मीरियम वीमर्स रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्था वेल्ट हुंगर हिल्फे से जुड़ीं हैं, वह ग्लोबल हंगर इंडेक्स की पॉलिसी ऐंड एक्सटर्नल रिलेशंस एडवाइजर भी हैं। मीरियम ने भारत सरकार की आपत्तियों को लेकर कहा, ”ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के टेलिफोन बेस्ड ओपिनियन इंडिकेटर (जिसमें गैलप पोल भी शामिल है) का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स अपनी रिपोर्ट के अंडरनरिशमेंट इंडिकेटर की जानकारी का इस्तेमाल करता है।”

मीरियम वीमर्स ने बताया, “ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट की समीक्षा बाहरी एक्सपर्ट करते हैं। इसको तैयार करने का तरीका पुराना और जांचा-परखा है। भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय सतत विकास के लक्ष्यों को लेकर अपनी सहमति जता चुके हैं। हम ग्लोबल हंगर इंडेक्स में ऐसे इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करते हैं, जो सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति मापने वाले सूचकों का हिस्सा हैं।”

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मीरियम ने आगे कहा, ”अल्पपोषण की व्यापकता सतत विकास के लक्ष्य 2.1 का एक मान्यता प्राप्त सूचक है, जिससे सबके लिए सुरक्षित, पोषक और पर्याप्त खाना सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।”

फिर उन्होंने आगे बताया, ”चाइल्ड स्टंटिंग (बच्चों की उम्र के हिसाब से लंबाई कम होना) और चाइल्ड वेस्टिंग (बच्चों में लंबाई के हिसाब से वजन कम होना) 2025 तक कम करने को लेकर वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में सहमति बनी है। साथ ही यह सतत विकास के लक्ष्यों 2.2 की प्रगति मापने का एक मान्यता प्राप्त पैमाना है। 5 साल तक के बच्चों की मृत्युदर कम करना भी सतत विकास के लक्ष्यों 3.2 का ही हिस्सा है।”

मीरियम वीमर्स बताया कि उनके डेटा कलेक्शन के तरीके में आखिरी बदलाव 2015 में किया गया था। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र, WHO जैसी एजेंसियों, जिनके डेटा का इस्तेमाल ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट बनाने में किया जाता है, वो डेटा कलेक्शन के तरीकों में कभी-कभार मामूली बदलाव करती रहती हैं।

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दरअसल, ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट पर भारत सरकार ने सवाल उठाए हैं। खासकर, अल्पपोषण से जुड़े डेटा कलेक्शन के तरीकों पर। सरकार का आरोप है कि अल्पपोषण लिए फूड ऐंड ऐग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के डेटा का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें टेलिफोन पोल भी शामिल है।

मोदी सरकार का ये भी कहना है कि अल्पपोषण पता करने का वैज्ञानिक तरीका लंबाई और वजन मापना है, जबकि ऐसा करने की जगह FAO के टेलिफोन पोल के आंकड़ों पर भरोसा करके ही अल्पपोषण की रिपोर्ट तैयार कर दी गई। इसके अलावा भारत सरकार ने इस रिपोर्ट में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं के असर की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया है।


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