असम विधानसभा चुनाव के कुछ दिनों पर असम कांग्रेस ने बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF के साथ गठबंधन तोड़ लिया है। यह फैसला सोमवार को प्रदेश कोर कमिटी की बैठक में लिया गया।
कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि यह फैसला AIUDF नेतृत्व द्वारा रहस्यमयी रूप से बीजेपी और मुख्यमंत्री की तारीफ किए जाने के कारण लिया गया है। कांग्रेस ने असम विधानसभा चुनाव में एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन किया था।
कांग्रेस की हार की समीक्षा के लिए बनी कमिटी ने इस गठबंधन को हार की एक अहम वजह बताया था। ऐसा पहली बार नहीं जब कांग्रेस ने बदरुद्दीन अजमल की पार्टी पर भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाया है।
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जिस तरह से कांग्रेस असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पर भाजपा की B टीम होने का आरोप लगाती है उसी प्रकार से बदरुद्दीन अजमल की पार्टी के खिलाफ भी कांग्रेस गठबंधन से पहले भाजपा से मिले होने का आरोप लगाती थी।
हालांकि, कुछ दिनों पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकजुटता को लेकर बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में बदरुद्दीन अजमल भी शामिल हुए थे।
AIUDF से अलग होने के फैसले को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की एक बैठक में यह फैसला लिया गया है।
बोबीता शर्मा ने बताया, “एआईयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा बीजेपी और मुख्यमंत्री की निरंतर और रहस्यमय प्रशंसा ने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता की धारणा को प्रभावित किया है।”
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उन्होंने आगे कहा, “एक लंबी चर्चा के बाद प्रदेश कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि एआईयूडीएफ अब ‘महाजोत’ में भागीदार नहीं रह सकती और इस बारे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को सूचित किया जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि असम विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के नेतृत्व में 10-पार्टी ‘महागठबंधन’ या ‘महाजोत’ का गठन किया गया था। इसमें कांग्रेस, एआईयूडीएफ और बीपीएफ के अलावा इसमें जिमोचायन (देवरी) पीपुल्स पार्टी (जेडीपीपी), आदिवासी नेशनल पार्टी (एएनपी), माकपा, भाकपा, भाकपा (माले), अंचलिक गण मोर्चा और आरजेडी शामिल थे।
विधानसभा चुनाव में गठबंधन ने 50 सीटें जीती थीं, जिसमें कांग्रेस को 29, एआईयूडीएफ ने 16, बीपीएफ ने चार और माकपा ने एक सीट हासिल की थी। हालांकि, कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई थी।
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