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कुमार मुकुल की कविताएं: क्या है सुंदरता और ऐ-अरी-ओ एंजलीना
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कुमार मुकुल की कविताएं: क्या है सुंदरता और ऐ-अरी-ओ एंजलीना

क्या है सुंदरता क्या सुकरात सुंदर थेया गांधीमदाम क्यूरी क्या सुंदर थींआलोक दा से पूछा मैंने-आखिर क्या है सुंदरता पता नहीं, किस ट्रांस में जाकरबोले वो- ”रानियाँ मिट गईंजंग लगे टिन जितनी कीमत भी नहींरह गई उनकी याद कीरानियाँ मिट गईलेकिन क्षितिज तक फसल काट रही औरतेंफसल काट रही हैं।” ऐ-अरी-ओ एंजलीना- (1) ऐ-अरी-ओ एंजलीनामातृत्व...

जयन्ती विशेष: एक मौलाना हसरत मोहानी भी थे!
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जयन्ती विशेष: एक मौलाना हसरत मोहानी भी थे!

पाकिस्तान के करांची शहर में हसरत मोहानी नाम की एक बड़ी कॉलोनी है। वहाँ हसरत मोहानी नाम से एक बड़ी सड़क भी है। करांची में ही एक हसरत मोहानी मेमोरियल सोसाइटी है और एक हसरत मोहानी मेमोरियल लाइब्रेरी भी है।

गजेन्द्र रावत की कहानी: धोखेबाज़
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गजेन्द्र रावत की कहानी: धोखेबाज़

सीन ही बदल गया। सारी मस्ती धरी रह गई। काली के तिपहिए से निकली लोहे की छड़, कायदे से जिस पर आईना लगा होना था, अचानक प्रकट हुए दुपहिये पर पीछे बैठे हवलदार के कान से छूकर चली गई। कान बुरी तरह लहूलुहान हो गया। दुपहिये पर पुलिस के सिपाही को देख काली के शरीर...

नोबल पुरस्कार से सम्मानित पोलिश कवयित्री विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता: हमारे दौर के बच्चे
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नोबल पुरस्कार से सम्मानित पोलिश कवयित्री विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता: हमारे दौर के बच्चे

हम इस दौर के बच्चे हैंइस सियासी दौर के दिन भर और फिर पूरी रातमेरी, तेरी, उसकी बात-सब-महज एक राजनीतिक मसला है। तुम्हें पसंद आए या न आएलेकिन तुम्हारे खून का एक राजनीतिक इतिहास हैतुम्हारी त्वचा, एक सियासी साँचे से गढ़ी हुई हैऔर तुम्हारी आंखें एक सियासी निगाह हैं तुम जो भी कहते होगूँजता रहता...

इंटरव्यू: जीवन से सीधा और सधा हुआ साक्षात्कार है त्रिलोचन का काव्य
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इंटरव्यू: जीवन से सीधा और सधा हुआ साक्षात्कार है त्रिलोचन का काव्य

त्रिलोचन हिंदी की प्रगतिशील काव्य-धारा के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कवियों में हैं। उनकी कविताओं में लोक-जीवन की अभिव्यक्ति हुई है। वे सामान्य जन के कवि हैं। उन्होंने स्वयं लिखा है- उस जनपद का कवि हूँ जो भूखा है दूखा है कला नहीं जानता…। आलोचकों ने त्रिलोचन को लोकजीवन से जुड़ा मानने के साथ ही शास्त्रीय परम्परा...

कुमार मुकुल की कविता: मृत्यु सूक्त
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कुमार मुकुल की कविता: मृत्यु सूक्त

[पेशे से पत्रकार और मूलत: कवि कुमार मुकुल के अब तक तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। प्रभात प्रकाशन से ‘डाक्टर लोहिया और उनका जीवन-दर्शन’ (2012) नामक किताब प्रकाशित। ‘अंधेरे में कविता के रंग’ (2012) शीर्षक से एक आलोचना की पुस्‍तक और ‘सोनूबीती-एक ब्‍लड कैंसर सर्वाइवर की कहानी’ (2015) का प्रकाशन। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक...

आदिवासी दुनिया और रमणिका गुप्ता की कविताएं
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आदिवासी दुनिया और रमणिका गुप्ता की कविताएं

आदिवासी साहित्य पर विचार करते वक्त एक नाम जो सबसे पहले जेहन में आता है वह नाम हैं रमणिका गुप्ता। उन्होंने आदिवासी साहित्य के उत्थान और प्रसार में अपना समूचा जीवन समर्पित कर दिया। हाशिए के समाज के लिए प्रतिबद्ध पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ के माध्यम से उन्होंने आदिवासी साहित्य को भरपूर स्पेस दिया। आज...

फहीम अहमद की दो कविताएं: मैं कहता था कि अनगिनत सदियाँ बंध आई थी हमारे बीच
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फहीम अहमद की दो कविताएं: मैं कहता था कि अनगिनत सदियाँ बंध आई थी हमारे बीच

साहित्य से गहरा अनुराग रखने वाले बेहद प्रतिभाशाली फहीम अहमद ने अभी-अभी कविता लिखना प्रारंभ किया है। इनकी शुरुआती कविता में ही सुघड़ता है। इनकी कविताओं में भावना और विचार का गज़ब का संतुलन है। हमें आशा है, समूची दुनिया में गहन निराशा और डर से भरे माहौल के बीच फहीम की लेखनी एक उम्मीद...

नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं: गोरी तेरे ठाँव और प्रकृति के आँचल में
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नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं: गोरी तेरे ठाँव और प्रकृति के आँचल में

[नीलोत्पल रमेश बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति हैं। प्रकृति से खास लगाव रखते हैं। यही कारण है कि इनकी कहानी हो या कविता उसमें प्रकृति का साफ चित्रण दिखता है। इनकी कविता, कहानी, समीक्षा कई पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित होती रही है। नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं यहां प्रकाशित कर रहे हैं।] गोरी तेरे ठाँव कोयल...

जागृति सौरभ की लघुकथा: मुस्कान
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जागृति सौरभ की लघुकथा: मुस्कान

शाम का वक़्त था। हर दिन की तरह उस दिन भी मैं खामोश सड़कों को देख रही थी। ज़िन्दगी में जैसे रंगों की तलाश में नज़रे यहाँ से वहाँ घूम रही थी। घर में सन्नटा पसरा था। शाम के करीब पाँच बज रहे थे। सब अपने-अपने कामों में व्यस्त थे। मेरा भी लगभग काम हो...