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आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी
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आर. के. कश्यप की दो कविताएं- ओस की बूंदें और वीआईपी

ओस की बूंदें सुबह के ओस की बूँदों का छुअन, निश्छल प्रेम का अहसास कराती है।यह कोमल, निराकार, मासूम, अत्ममिलन का सुकून देती है। सुबह कि बेला में ज़मीन पर उगे छोटे-छोटे घासों पर,आपका इंतज़ार करती है। वृक्ष के पत्तों से टपकती कहती है,कि आओ हमसे आत्ममिलन करो। अहसास करो प्रेम के चरम स्पर्श का,आओ...

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की वैचारिक दृष्टि
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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की वैचारिक दृष्टि

रामधारी सिंह दिनकर के दृष्टिकोण को परस्पर दो प्रमुख विचारधाराओं के परिप्रेक्ष्य में रखकर समझा जा सकता है। उनके दृष्टिकोण का पहला ध्रुव मार्क्सवाद है और दूसरा ध्रुव गांधीवाद है। वे विचारधाराओं के इन्हीं दो ध्रुवों के बीच आजीवन आवाजाही करते रहे हैं। अनेक अवसरों पर गांधी से उनकी असहमतियां भी प्रकट हुई हैं, इसलिए...

जयंती विशेष: समय की सलीबों पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’
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जयंती विशेष: समय की सलीबों पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’

मौजूदा समय में दिनकर की ‛राष्ट्रवाद’ संबंधी समझ को दृढ़ता के साथ रेखांकित करने की जरूरत है क्योंकि हिंदुत्ववादी शक्तियां उनकी राष्ट्रीय भावों की ओजपूर्ण कविताओं के सहारे अपने अंधराष्ट्रवाद के अभियान को साधना चाहती हैं। यह अकारण नहीं है कि हिमालय के शिखरों पर चढ़कर उनकी कविताओं के ‛आलाप’ किए जा रहे हैं। ऐसा...

अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी पंजाबी कहानी: यह कहानी नहीं
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अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी पंजाबी कहानी: यह कहानी नहीं

पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था। पर बना नहीं। वह धरती पर फैल गया, सड़कों की तरह और वे दोनों तमाम उम्र उन सड़कों पर चलते रहे….। सड़कें, एक-दूसरे के पहलू से भी फटती हैं, एक-दूसरे के...

पुस्तक समीक्षा ❙ बर्नियर की भारत यात्रा : सत्रहवीं सदी का भारत
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पुस्तक समीक्षा ❙ बर्नियर की भारत यात्रा : सत्रहवीं सदी का भारत

प्रसिद्ध यात्री फ्रांस्वा बर्नियर फ्रांस का निवासी था। पेशे से चिकित्सक बर्नियर 1656 से 1668 तक भारत में रहा। इस समय वृहत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्रों में मुगलों का शासन था जिसमें अत्यधिक उथल-पुथल मचा था। शाहजहाँ के अस्वस्थ होने से उसके पुत्रों के बीच सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष शुरू हो गया था। शाहजहाँ...

साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने
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साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने

मुझे पिछले वर्ष भी हाजीपुर के इस गांधी आश्रम में आने का मौका मिला था। हाजीपुर की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हमेशा प्रेमंचद जयंती दो तीन दिनों के बाद मनाई जाती है। वैसे भी 31 जुलाई को हर जगह प्रेमचंद जयंती कार्यक्रमों की धूम मची रहती है। पूरे बिहार में छोटी-छोटी जगहों,...

विचारधारा का अंत और प्रेमचंद की विचारधारा
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विचारधारा का अंत और प्रेमचंद की विचारधारा

प्रेमचंद निर्विवाद रूप से आज भी हिंदी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले व लोकप्रिय लेखक हैं। परंतु इधर, कुछ वर्षों में उन्हें लेकर विवाद भी बहुत बढ़े हैं। हिंदी में जब से विमर्शों का दौर शुरू हुआ है, तब से प्रेमचंद को विमर्शों के केंद्र में लाया गया है। विमर्शों में प्रेमचंद विवादित हैं। ऐसा...

डॉ. मुकुन्द रविदास की तीन कविताएं: विधवा की बेटी, लोग और उसी कमरे में
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डॉ. मुकुन्द रविदास की तीन कविताएं: विधवा की बेटी, लोग और उसी कमरे में

विधवा की बेटी जीर्ण-शीर्ण वस्त्र सेलिपटी गुड़ियाबहुत सुंदर दिखती है। पड़ोसी घर खटती-पिटती ‘माँ’वह गुड्डा-गुड़िया खेलती हैरात को माँ से लिपट करखटिया में सोयी रहती है। दिन में खेत को जातीरात में शौच को निकलती हैउठवा लो एक दिनहवस का शिकारबना लोतन-मन कर दोजीर्ण-शीर्णबहुत सुंदर दिखती है। एक नहीं दो-चारबुला लोकोई हाथ पकड़ लोकोई पैर...

विनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की 3 कविता: भेड़िए, सवाल और मेरी कविताएं
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विनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की 3 कविता: भेड़िए, सवाल और मेरी कविताएं

भेड़िए भेड़िए-तुम फिर आनाबार-बार आनादबोच कर ले जानायहां का नूरयहां की महकयहां की नमींयहां की जन्नतपेड़, पहाड़, जंगल, झरनानदी, नाला, पनघट सब ले जानापसंद की पनिहारनियों को भी ले जाना। भेड़िए-तुम फिर आनाले जाना दबोच करयहां के लोकगीतयहां के लोकनृत्ययहां की संपदा, खान-खनिजधर्म, वेद, पुराण, शास्त्र, सब ले जानालोगों का मन, मस्तिष्क, ईमान सब ले...

भीष्म साहनी के कथाकर्म में साम्प्रदायिकता
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भीष्म साहनी के कथाकर्म में साम्प्रदायिकता

किसी भी समाज को समझने में उस वक्त का साहित्य और उसका इतिहास मदद करते हैं। भीष्म साहनी के साहित्य की पड़ताल करने पर भी हमें समाज का एक चेहरा दिखाई पड़ता है। आज के पर्चे के विषय के बहाने, भीष्म जी के साहित्य के बहाने हम उनके वक्त के समाज की पड़ताल करेंगे, जिन...