आज देश की 3 लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों पर हुए उप-चुनाव के नतीजे आए। तीन लोकसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को वोट डाले गए थे जिसमें दादरा व नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश की मंडी और मध्य प्रदेश की खंडवा शामिल हैं।
वहीं, जिन 29 विधानसभा सीटों पर मतदान हुए थे उनमें असम की 5, बंगाल की 4, एमपी, मेघालय और हिमाचल की 3-3, राजस्थान, बिहार और कर्नाटक की 2-2, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मिजोरम और तेलंगाना की 1-1 सीटें शामिल हैं।
लेकिन, इस उप-चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है। एक तरफ हिमाचल में उसे एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट खोनी पड़ी है तो वहीं, पश्चिम बंगाल में उसे टीएमसी के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी।
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कुल 29 विधानसभा सीटों में से भाजपा 22 पर मुकाबले के लिए उतरी थी। पर महज 8 सीटों पर ही उसे जीत हासिल हुई है। एक तरफ भाजपा को हिमाचल में करारा झटका देते हुए कांग्रेस ने क्लीन स्वीप कर दिया है।
वहीं, राजस्थान में भी कांग्रेस ने भाजपा का गढ़ कही जाने वाली धरियावाद सीट पर अपना परचम लहराया है। इसके अलावा वल्लभनगर सीट से भी जीत हासिल की है, जो कांग्रेस का हमेशा से गढ़ रही है।
हिमाचल प्रदेश की कुल 3 सीटों (फतेहपुर, जुब्बल कोटखाई, अर्की) पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। इतना ही नहीं अपनी जीती हुई कोटखाई की सीट भी उसने कांग्रेस के हाथों गंवा दी है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर ने जीत दर्ज की है।
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रोहित ठाकुर को जहां 29447 वोट मिले। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी चेतन बरागटा 23344 वोट मिले जो दूसरे नंबर पर रहे। जबकि भाजपा प्रत्याशी नीलम सरैइक को महज 2584 वोट मिले और उनकी जमानत तक जब्त हो गई। जीती हुई सीट पर जमानत जब्त कराना भाजपा के लिए बड़ी किरकिरी है।
मंडी लोकसभा सीट पर भी भाजपा को कांग्रेस की प्रतिभा सिंह से हाथों हार का मुंह देखना पड़ा है। वह प्रदेश के पूर्व सीएम रहे वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं। यह सीट पहले भाजपा के ही कब्जे में थी और रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद खाली हुई थी।
भाजपा के लिए सबसे आशाओं वाले अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां भाजपा के लिए स्थिति संतोषजनक रही है। पार्टी ने तीन में से दो सीटों, जोहट और पृथ्वीपुर, पर जीत दर्ज की है। हालांकि, रैगांव में वह सीट गंवाती दिख रही है, जहां बीते 31 सालों से वह काबिज थी।
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पश्चिम बंगाल में भी बीते विधानसभा चुनाव की तरह भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। अपनी जीती हुई दो सीटें भी भाजपा ने यहां गंवा दी है। यही नहीं तीन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत का अंतर 1 लाख के करीब रहा है। इससे पता चलता है कि भाजपा को कितनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
दिनहाटा उपचुनाव में टीएमसी के उदयन गुहा ने 1,64,089 के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, जबकि पार्टी के सोवन्देब चट्टोपाध्याय ने खरदाह से 93,832 मतों के अंतर से जीत हासिल की। बंगाल की गोसाबा सीट पर भी टीएमसी ने अपना कब्जा किया है।
हालांकि, असम की 5 विधानसभा सीटों पर एनडीए को सफलता मिली है। इनमें से तीन पर भाजपा उतरी थी, जबकि दो सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी UPPL चुनावी समर में उतरी थी। पूर्वोत्तर भारत की कुल 10 सीटों के उप-चुनाव में से सभी पर भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों को जीत मिली है।
वहीं आंध्र प्रदेश की बदवेल विधानसभा सीट से वाईएसआर कांग्रेस की कैंडिडेट डॉ. दसारी की जीत हुई है, जबकि कांग्रेस और भाजपा की जमानत जब्त हो गई है। जहां तक उप-चुनावों में सबसे अधिक चर्चाओं में रही बिहार की दो सीटों की बात है तो दरभंगा के कुशेश्वरस्थान और मुंगेर की तारापुर सीट पर राजद प्रत्याशियों को हराकर जदयू ने अपने नाम कर लिया है।
माना जा रहा है कि इस उप-चुनाव का असर 2022 के अगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा, खासकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखेगा। कई लोगों का मानना है कि भाजपा का बुरा हाल महंगाई पर काबू नहीं कर पाने के चलते अधिक हुआ है।
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