सीरिया में बशर अल-असद को भारी जीत, 95.1% वोट, विपक्षी ने चुनाव को बताया पाखंड

सीरिया में बशर अल-असद को भारी जीत, 95.1% वोट, विपक्षी ने चुनाव को बताया पाखंड

बशर अल-असद ने एक बार फिर सीरिया के राष्ट्रपति चुनाव में जबरस्त जीत हासिल की है। ये लगातार चौथी बार है जब वे इस पद के लिए चुने गए हैं। बुधवार को देश में हुए चुनावों में असद को 95.1 फीसद मत मिले। वहीं, दूसरी तरफ उन्हें चुनौती देने वाले दो उम्मीदवारों में से महमूद अहमद मारी को 3.3 फीसद और अब्दुल्ला सालौम अब्दुल्ला को 1.5% मत हासिल हुए।

हालांकि, सीरिया के विपक्षी दलों ने इस चुनाव को पाखंड बताया है और कहा है कि यह चुनाव दुनिया को दिखाने के लिए कराया गया था। जबकि असद का जीतना पहले से तय था। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भी कहा है कि ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं था। वैसे भी जो आंकड़े असल के फेवर में दिख रहे हैं ये उसी तरफ इशारे करते हैं। हालांकि, असद ने नतीजों से पहले ही कहा था कि पश्चिम देशों की प्रतिक्रिया उनके लिए ‘ज़ीरो’ मायने रखती है।

देश की राजधानी दमिश्क में अपना मत डालने पहुंचे असद ने कहा था, “सीरिया वैसा नहीं है जैसा वो बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जहां एक शहर दूसरे से लड़ रहा है। एक समुदाय दूसरे का विरोधी है। या जहां गृह युद्ध छिड़ा हुआ है। आज हम चुनाव से ये साबित कर रहे हैं कि सीरिया की जनता एक है।”

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वहीं, देश के वे विपक्षी नेता जो इस वक्त निर्वासन में रह रहे हैं; ने चुनाव को पाखंड बताया है। सीरियन निगोशिएशन कमीशन के प्रवक्ता याह्या अल-अफरीदी ने कहा कि देश में हुआ मौजूदा चुनाव ‘सीरियाई जनता का अपमान’ दिखाता है। उन्होंने कहा, “ये रूस और ईरान की सहायता से सरकार का, राजनीतिक प्रक्रिया को समाप्त करने के लिए लिया गया फैसला है। इससे जुल्म जारी रहेगा।”

सीरिया में बशर अल-असद को भारी जीत, 95.1% वोट, विपक्षी ने चुनाव को बताया पाखंड

दूसरी तरफ एक संयुक्त बयान जारी कर फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और अमेरिका ने मतदान से पहले चुनाव को ‘अवैध’ बताया था। पश्चिमी देशों ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र की निगरानी के बिना यह चुनाव ‘न स्वतंत्र होगा और न ही निष्पक्ष’। उनकी तरफ से कहा गया, “हम सीरियाई लोगों की आवाजों का समर्थन करते हैं, जिनमें वहां के नागरिक संगठन और विपक्ष शामिल हैं, जिन्होंने चुनाव प्रक्रिया को अवैध बताकर इसकी निंदा की है।”

दरअसल, सीरिया सरकार ने यह चुनाव ऐसे समय करवाया जब वह संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में एक नए संविधान का मसौदा बनाने के लिए काम कर रही है। इस नए संविधान का मुख्य मकसद यूएन की निगरानी में वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना है जिसमें लाखों शरणार्थियों समेत सभी सीरियावासी हिस्सा ले सकें। 55 वर्षीय बशर अल-असद साल 2000 में पहली बार सीरिया के राष्ट्रपति बने थे। यह उनकी लगातार चौथी जीत है।

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उल्लेखनीय है कि सीरियाई संघर्ष में अब तक 388,000 लोगों की जान जा चुकी है। सीरिया की लगभग आधी आबादी को लड़ाई के कारण अपने घर-बार को छोड़कर भागना पड़ा है। तकरीबन 60 लाख सीरियाई नागरिक अभी शरणार्थी बनकर विदेशों में रहने को मजबूर हैं। बताया जा रहा है कि सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों और विदेशों में कुछ सीरियाई दूतावासों में मतदान करवाए गए। सीरिया सरकार का कहना है कि चुनाव का होना ये दिखाता है कि सीरिया में सब सामान्य है।


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