जन्मदिन पर 4 साल का बच्चा गया मंदिर, सवर्णों ने लगा दिया 35,000 का जुर्माना

जन्मदिन पर 4 साल का बच्चा गया मंदिर, सवर्णों ने लगा दिया 35,000 का जुर्माना

कर्नाटक से जाति के आधार पर भेदभाव करने का एक ऐसा मामला सामने आया है जो बेहद शर्मनाक है। यहां एक दलित परिवार पर सिर्फ इसलिए 35 हजार का जुर्माना लगाया गया है क्योंकि एक चार साल का मासूम मंदिर के अंदर प्रवेश कर गया।

बच्चे का जन्मदिन था। इस खास मौके पर परिवार वाले उसे लेकर पूजा करने मंदिर गए। हालांकि, उन्हें यह नहीं पता होगा कि इसके लिए उसके लिए इतने बड़े आर्थिक जुर्माना भरने को कहा जाएगा।

दरअसल, मामला है कि कर्नाटक के कोप्पल जिले के हनुमासागर के पास मियापुरा गांव का, जहां एक दलित व्यक्ति के 4 साल के बेटे के जन्मदिन पर मंदिर में प्रवेश करने के आरोप में 25,000 रुपये जुर्माना लगाया गया।

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साथ ही परिवार पर मंदिर परिसर को सैनिटाइज करने के लिए 10,000 रुपये का अलग से भुगतान करने को कहा गया। हालांकि, घटना की सूचना मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू की है। घटना 4 सितंबर की है।

तहसीलदार सिद्धेश के हवाले से न्यूज एजेंसी एएनआई ने रिपोर्ट की है कि बाद में, गांव के बुजुर्गों ने माफी मांगी और कहा कि यह गलतफहमी के कारण हो गया। बताया जा रहा है कि यह घटना तब एक बड़ा मुद्दा बन गया जब ऊंची जाति के ग्रामीणों ने मंदिर में दलित लड़के के प्रवेश के बाद मंदिर के अपवित्र होने की बात कही।

जन्मदिन पर 4 साल बच्चा गया मंदिर, सवर्णों ने लगा दिया 35,000 का जुर्माना

इतना ही नहीं, उन्होंने 11 सितंबर को एक बैठक की और माता-पिता को 25,000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। साथ में 10,000 मंदिर को सैनिटाइज करने के लिए जमा करने को कहा।

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हालांकि, जब जिला प्रशासन को इस बात की भनक लगी तो पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को गांव भेजा गया। अधिकारियों ने वहां जाकर सभी ग्रामीणों के लिए भेदभाव के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।

साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने ऊंची जाति के लोगों को चेतावनी दी कि अगर वे ऐसा दोहराते हैं तो कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। कोप्पल के पुलिस अधीक्षक टी. श्रीधर ने बताया कि उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया। दोषियों को चेतावनी दी गई है।

उन्होंने बताया है कि दुर्व्यवहार करने वाले लोगों ने बच्चे के पिता से माफी मांगी है। हालांकि, पुलिस पीड़ित परिवार को शिकायत दर्ज कराने के लिए मनाने के लिए उसके घर गई, लेकिन समुदाय के बुर्जुगों ने ऐसा नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि इससे दुश्मनी पैदा होगी।


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